राम जन्म का मंचन देख झूम उठे श्रोता, गूंजा जयघोष
सिद्धार्थनगर सकतपुर में चल रहे 11 दिवसीय रूद्र महायज्ञ व रामलीला में बुधवार की रात भग सकतपुर में चल रहे 11 दिवसीय रूद्र महायज्ञ व रामलीला में बुधवार की रात भगवान विष्णु की आरती के समय पंडाल सुगंधित हो उठा। कथावाचक ने प्रवचन में भगवान श्रीराम के अवतार का वर्णन सुंदर ढंग से किया।
सिद्धार्थनगर : सकतपुर में चल रहे 11 दिवसीय रूद्र महायज्ञ व रामलीला में बुधवार की रात भगवान विष्णु की आरती के समय पंडाल सुगंधित हो उठा। कथावाचक ने प्रवचन में भगवान श्रीराम के अवतार का वर्णन सुंदर ढंग से किया। कलाकारों ने रामलीला में राम जन्म का मंचन दिखाया तो सभी श्रोता खुशियों से झूम उठते हैं, जयघोष की गूंज से वातावरण गुंजायमान हो उठता है।
प्रवचन में आचार्य लक्ष्मण दास महाराज ने कहा कि मेघनाथ की दिग्विजय बनने के बाद रावण का अत्याचार बढ़ जाता है। इससे परेशान होकर लोग प्रभु को याद करने लगते हैं। देवता तक रावण के अत्याचार से परेशान हो गए थे। उन्होंने प्रभु राम के अवतार लेने की प्रार्थना की। जिसके बाद श्रीराम का अवतार हुआ। यज्ञ के महत्व पर उन्होंने कहा कि जहां-जहां यज्ञ होता है, वहां वातावरण शुद्ध हो जाता है। मानव कल्याण के लिए ऐसे आयोजन होते रहना चाहिए।
मंचन में भी आदर्श बनदेवी नाट्य कला परिषद व रामलीला पार्टी के कलाकारों ने रावण अत्याचार व प्रभु राम के अवतार का सजीव मंचन किया। राजा दशरथ के यहां राम जन्म से अयोध्या सहित देवलोक में खुशी छा जाती है। महिलाएं सोहर गाने लगती हैं, तो लोग एक-दूसरे को बधाई देने लगते हैं। सुंदर प्रस्तुति देख श्रोता मंत्रमुग्ध हो उठते हैं। आयोजक भाजपा जिला उपाध्यक्ष राम कृपाल चौधरी, शिव शक्ति मित्र मंडल के सदस्यों समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। राम-विवाह का मंचन देखकर हर्षित हुए श्रद्धालु
सिद्धार्थनगर: चौखड़ा में चल रही रामलीला में बुधवार की रात राम विवाह प्रसंग का मंचन किया गया। इसे देखकर श्रद्धालु हर्षित हो उठे। पंडाल श्रीराम के जयकारे से गूंज उठा।
कलाकारों ने राजा दशरथ, राजा जनक, राम व सीता की तुलना करते हुए दिखाया। राजा जनक अपनी बेटी के लिए स्वयंवर रचाते हैं। उन्होंने एक प्रतिज्ञा रखी कि जो शिव धनुष को खंडित करेगा वही सीता से नाता जोड़ेगा। धनुष को तोड़ने के लिए कई राजा व राजकुमार पहुंचे, लेकिन सभी विफल रहे। ऐसे में राजा जनक ने सभा में कहा कि आज धरती वीरों से विहीन हो गई। सभी अपने घर जाएं। इसके बाद लक्ष्मण को क्रोध आया और उन्होंने कहा कि अगर श्रीराम की आज्ञा हो तो धनुष क्या, पूरे ब्रह्मांड को गेंद की तरह उठा लूं। दिखाया कि धनुष अहंकार का प्रतीक है व राम ज्ञान के प्रतीक। जब अहंकारी व्यक्ति को ज्ञान का स्पर्श होता है तब अहंकार का नाश हो जाता है। श्रीराम में वह अहंकार नहीं था और उन्होंने धनुष खंडित किया और उनका विवाह सीता से हुआ।