कायाकल्प की आस में शिक्षक, जर्जर भवन में दे रहे शिक्षा
कोरोना महामारी के कारण विद्यालय बंद चल रहे थे। अगस्त से सरकार विद्यालय खुल गए हैं। इसके बाद बच्चे पठन-पाठन के लिए विद्यालय पहुंचने लगे हैं। छात्रों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। लेकिन कई परिषदीय विद्यालय के भवन जर्जर हो गए हैं।
सिद्धार्थनगर : कोरोना महामारी के कारण विद्यालय बंद चल रहे थे। अगस्त से सरकार विद्यालय खुल गए हैं। इसके बाद बच्चे पठन-पाठन के लिए विद्यालय पहुंचने लगे हैं। छात्रों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। लेकिन कई परिषदीय विद्यालय के भवन जर्जर हो गए हैं। इस कारण से इन स्कूलों के एक-दो कमरों में ही सभी कक्षाएं संचालित की जा रही है। कुछ विद्यालय के एक कमरे में करीब 100 बच्चों को एक साथ पढ़ाया जा रहा है। कोविड प्रोटोकाल में प्राथमिक विद्यालय में 35 पूर्व माध्यमिक विद्यालय के एक कक्षा में अधिकतम 30 बच्चों के एक कमरे में बैठने का नियम है। यहां के शिक्षकों को कायाकल्प की आस है।
बर्डपुर ब्लाक में 26 जर्जर विद्यालयों के जर्जर भवन का ध्वस्तीकरण हुआ है। 17 नए भवनों का निर्माण चल रहा हैं। करीब दस बनकर तैयार हो गए हैं। शेष का काम प्रगति पर है। वर्तमान शैक्षणिक सत्र में दो विद्यालयों का मरम्मत व ध्वस्तीकरण का प्रस्ताव भेजा गया है। इसमें अभी कोई मंजूर नहीं हुआ है। इस कारण से शिक्षक व छात्रों को उठाना पड़ रहा है। कुछ स्कूल के अतिरिक्त कक्ष, तो कहीं बरामदा में क्लास चलाई जा रही है। एकाध स्कूल की कक्षा तो खुले में पेड़ के नीचे लग रही है।
प्राथमिक विद्यालय पिपरी में विद्युत आपूर्ति नहीं है। फिर भी कार्यदायी संस्था ने जून में सबमर्सिबल लगा दिया। वहीं महदेवा में विद्युत आपूर्ति है। लेकिन यहां पानी की कोई व्यवस्था नहीं है इसके बावजूद सबमर्सिबल नहीं लगाया गया है।
कंपोजिट विद्यालय, सूर्यकुड़िया में छह सौ बच्चों का नामांकन है। पांच कमरे जर्जर हैं। छत से पानी टपक रहा हैं। नौ कमरे में बच्चे पठन-पाठन करते हैं। बच्चों की अधिक संख्या होने के कारण बरामदा में क्लास चल रही है। यहां पांच शिक्षक, दो अनुदेशक व दो शिक्षामित्र तैनात हैं।
प्राथमिक विद्यालय, सिसहनिया में 145 बच्चों का नामांकन है। अध्यापन कार्य दो अतिरिक्त कक्ष में चलता है। 50 से ऊपर बच्चे एक कमरे में बैठते हैं। विद्यालय में मुख्य भवन नही है। एक कक्ष निष्प्रयोज्य हैं। रसोई घर से पानी टपकता है। कायाकल्प से कोई काम नही हुआ है।
प्राथमिक विद्यालय पिपरी में 325 बच्चो का नामांकन हैं। तीन कमरों में कक्षाएं संचालित हो रही है। संख्या अधिक होने व गर्मी के कारण करीब 50 मीटर दूर पेड़ के नीचे बच्चों की क्लास लगाई जाती है। विद्यालय में विद्युत कनेक्शन नहीं है। इसके बाद भी सबमर्सिबल पंप लगा दिया गया हैं।