64 माह का केंद्रांश न मिलने से आर्थिक संकट

केंद्र में एनडीए की सरकार बनते ही मदरसों में आधुनिक विषयों की शिक्षा को बढ़ावा देने का दावा बड़े जोर शोर से किया गया। परंतु जिनके कंधों पर आधुनिक शिक्षा की जिम्मेदारी दी गई। उन्हें मानदेय के रूप में निर्धारित केंद्रांश देने की बारी आई तो ऐसा मुंह मोड़ा की 64 माह बाद भी मदरसा शिक्षक टकटकी लगाए हुए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 24 Sep 2021 11:27 PM (IST) Updated:Fri, 24 Sep 2021 11:27 PM (IST)
64 माह का केंद्रांश न मिलने से आर्थिक संकट
64 माह का केंद्रांश न मिलने से आर्थिक संकट

सिद्धार्थनगर : केंद्र में एनडीए की सरकार बनते ही मदरसों में आधुनिक विषयों की शिक्षा को बढ़ावा देने का दावा बड़े जोर शोर से किया गया। परंतु जिनके कंधों पर आधुनिक शिक्षा की जिम्मेदारी दी गई। उन्हें मानदेय के रूप में निर्धारित केंद्रांश देने की बारी आई तो ऐसा मुंह मोड़ा की 64 माह बाद भी मदरसा शिक्षक टकटकी लगाए हुए हैं। केंद्रांश न मिलने से उनपर आर्थिक संकट आ गया है, जिससे शिक्षकों की स्थिति दिन ब दिन और खराब हो रही है।

जनपद में 820 शिक्षक मदरसों में आधुनिक विषयों को पढ़ाने के लिए कार्यरत हैं। जिन्हें राज्य सरकार शैक्षिक योग्यता के आधार मानदेय देती है। केंद्र स्नातकधारी को छह तथा परास्नातक को 12 हजार रुपये देना था। केंद्र में एनडीए की सरकार बनने के बाद इन शिक्षकों में उम्मीद जगी थी आधुनिकीकरण का दावा करने वाली सरकार नियमित कर देगी। परन्तु हुआ उलट। सत्र 2013-14 , 2016-17, 2017-18, 2018-19, 2019-20, 2020-21 करीब 64 माह का केंद्राश ही केंद्र ने जारी नहीं किया। जबकि आए दिन जांच के नाम पर अभिलेखों को तलब करती है।

जिला प्रभारी मदरसा आधुनिक शिक्षक अतीउल्लाह, ब्लाक के दुर्गेश श्रीवास्तव, मजीबुल्लाह, नसीबुल्लाह आदि ने कहा कि सरकार कहने को मदरसों में आधुनिक शिक्षा को बढ़ावा देने का खम भरती है, लेकिन जब मानदेय देने की बात आती तो उर्दू के नाम बजट ही नहीं जारी करती। ममता यादव, अंजली शर्मा कहती हैं कि करीब पांच साल से अधिक का समय बीतने को है विभिन्न संगठन लखनऊ से लेकर दिल्ली तक केंद्रांश के लिए मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्रालय तक गुहार लगा चुके हैं सिर्फ आश्वासन ही मिला।

जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी तन्मय ने कहा कि डिमांड कई बार भेज चुका हूं, पैसा आते ही भुगतान कर दिया जाएगा।

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