पीएम के आने की तैयारी में मिल गए तीन स्थायी हेलीपैड

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रस्तावित कार्यक्रम कुछ दिनों के लिए भले टल गया हो लेकिन जिले को हमेशा के लिए तीन स्थायी हेलीपैड मिल गए हैं। इससे अस्थायी हेलीपैड के नाम पर बड़े पैमाने पर धन का अपव्यय नहीं होगा।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 12:15 AM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 12:15 AM (IST)
पीएम के आने की तैयारी में मिल गए तीन स्थायी हेलीपैड
पीएम के आने की तैयारी में मिल गए तीन स्थायी हेलीपैड

सिद्धार्थनगर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रस्तावित कार्यक्रम कुछ दिनों के लिए भले टल गया हो, लेकिन जिले को हमेशा के लिए तीन स्थायी हेलीपैड मिल गए हैं। इससे अस्थायी हेलीपैड के नाम पर बड़े पैमाने पर धन का अपव्यय नहीं होगा।

प्रधानमंत्री के आगमन को लेकर बीएसए कार्यालय परिसर में तीन स्थायी हेलीपैड तैयार कराए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री का कार्यक्रम स्थगित होने के बाद से टेंट का सामान बीएसए ग्राउंड से हटने लगा है, लेकिन हेलीपैड का कार्य अभी रुका नहीं है। जिलाधिकारी दीपक मीणा के निर्देश पर उसे स्थायी तौर पर तैयार कराया जा रहा है। ताकि अस्थायी हेलीपैड के नाम पर लगातार खर्च हो रहे लाखों रुपयों की बचत हो सके। हेलीपैड का निर्माण होने से लोगों को भविष्य में भी मदद मिलेगी।

जानिए एक हेलीपैड के निर्माण कितना होता है खर्च

लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता आरएस यादव का कहना है कि एक अस्थायी हेलीपैड के निर्माण में करीब आठ से 10 लाख रुपये का खर्च होता है, जबकि 10 से 12 लाख के खर्च में स्थायी हेलीपैड का निर्माण हो जाता है। औसतन हर छह माह पर एक हेलीपैड की आवश्यकता होती है। विकास कार्यों को लेकर जिले अक्सर वीआईपी का आना-जाना होता है। जरूरत के हिसाब से तो जिले के हर ब्लाक में एक स्थायी हेलीपैड होना चाहिए। ताकि अस्थायी हेलीपैड के नाम पर खर्च होने वाले धन की बर्बादी न हो।

और चमक गया अशोक मार्ग

प्रधानमंत्री के आगमन को लेकर बीएसए ग्राउंड व अशोक मार्ग की भी सूरत संवारी गई है। बीएसए ग्राउंड के गड्ढ़ों को भरा गया तो अशोक मार्ग के किनारे की झाड़ियों की साफ सफाई की गई है। सड़क में मौजूद गड्ढों को भरा गया है। जिलाधिकारी दीपक मीणा ने कहा कि आधे से अधिक हेलीपैड का निर्माण हो चुका था। ऐसे में उसे बेकार करना ठीक नहीं था। ऐसे में पीडब्लूडी को निर्देशित किया कि निर्माणाधीन हेलीपैड को तोड़कर खराब न करें, बल्कि उसका अच्छी तरह निर्माण करें। ताकि भविष्य में भी वह काम आ सके।

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