विद्यालय बंद तो कहीं बिना किताब मिले बच्चे

कोरोना संक्रमण से डेढ़ वर्ष से बंद परिषदीय विद्यालय खुल तो गए पर व्यवस्था में सुधार नहीं दिख रहा है। शिक्षक भी अपनी जिम्मेदारियों से विमुक्त हो गए हैं। शनिवार को मिठवल विकास खंड के चार परिषदीय विद्यालयों की पड़ताल किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 12:33 AM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 12:33 AM (IST)
विद्यालय बंद तो कहीं बिना किताब मिले बच्चे
विद्यालय बंद तो कहीं बिना किताब मिले बच्चे

सिद्धार्थनगर : कोरोना संक्रमण से डेढ़ वर्ष से बंद परिषदीय विद्यालय खुल तो गए पर व्यवस्था में सुधार नहीं दिख रहा है। शिक्षक भी अपनी जिम्मेदारियों से विमुक्त हो गए हैं। शनिवार को मिठवल विकास खंड के चार परिषदीय विद्यालयों की पड़ताल किया गया। मौके पर दो स्कूल बंद मिले तो दो स्कूलों पर छात्र व शिक्षक उपस्थित थे। प्राथमिक विद्यालय इमलिया के गेट पर ताला लगा था। अध्यापक के इंतजार में बच्चे गेट पकडे़ खड़े मिले। भवन में काफी दिनों से रंगाई-पोताई तक नहीं हुई है। सफाई व्यवस्था भी लचर दिखी। भवन की हालत काफी जर्जर दिखी।

कंपोजिट विद्यालय हर्रैया द्वितीय में तीन रसोइयां एक महिला शिक्षिका मौजूद रहीं। बच्चे कमरे में एक कापी लेकर बैठे हुए थे। शिक्षिका से इस संबंध में जब पूछा गया तो कुछ भी बताने से इन्कार कर दिया। छात्रों के अध्ययन के लिए विभाग अभी तक पुस्तकें उपलब्ध नहीं करा सका है।

प्राथमिक विद्यालय तुरकौलिया में इंचार्ज प्रधानाध्यापिका कविता रानी उपस्थित थीं। सहायक अध्यापिका अनीता प्रसूता अवकाश पर हैं। यहां 89 छात्रों में 27 छात्र ही उपस्थित मिले। विद्यालय में देसी नल से बच्चे पानी पीते हैं। अभी तक यहां भी किताबें उपलब्ध नहीं हो पाई हैं।

कंपोजिट विद्यालय गजहड़ा में बिना किताब के बच्चे कमरे में बैठे थे। प्रभारी प्रधानाध्यापक सरिता श्रीवास्तव ने बताया कि किताबें अभी तक नहीं मिल सकी हैं। भवन जर्जर है, अतिरिक्त कक्ष में कई क्लास के छात्रों का किसी तरह शिक्षण कार्य हो रहा है। यहां 155 में 95 विद्यार्थी मौजूद रहे। बोले छात्र- किताबें नहीं तो पढ़ें कैसे : कंपोजिट विद्यालय गजहड़ा के कक्षा पांच के मोहित ने कहा कि कोरोना संक्रमण के कारण पढ़ाई वैसे खराब हो गई थी। अब स्कूल खुला तो पुरानी किताबों के सहारे पढ़ना पड़ रहा है। जानकी ने बताया कि स्कूल खुले एक माह हो गए, लेकिन हमें किताबें नहीं मिलीं। प्रीती ने कहा कि हम लोग एक साल से कुछ भी नहीं पढे़। किताबें नहीं हैं तो कैसे पढ़ाई करें। कक्षा तीन के आदित्य चौरसिया ने कहा कि हम स्कूल आकर क्लास में एक दूसरे को पहाड़ा, गिनती सुनाकर तथा नकल लिखकर चले जाते हैं। बीएसए राजेंद्र सिंह ने कहा कि अधिकांश स्कूलों में किताबें पहुंचा दी गई हैं। जहां किताबें नहीं पहुंची हैं, वहां भी जल्द ही भेज दी जाएंगी। बंद विद्यालय के शिक्षकों से स्पष्टीकरण लेते हुए कार्रवाई की जाएगी।

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