नहर सूखी, कैसे हो खेतों की सिंचाई

क्षेत्र के शाहपुर धौरहरा लटेरा सत्तावारजोत पठकोली मानादेई बहादुरपुर शंकरजोत होते हुए करही तक जाने वाली इस नहर का कोई पुरसाहाल नहीं है। नहर में बूंद भर पानी नहीं है जबकि इस समय किसानों को सबसे ज्यादा पानी की आवश्कता है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 27 Nov 2020 06:47 PM (IST) Updated:Fri, 27 Nov 2020 10:40 PM (IST)
नहर सूखी, कैसे हो खेतों की सिंचाई
नहर सूखी, कैसे हो खेतों की सिंचाई

सिद्धार्थनगर :क्षेत्र के सोहना शाखा की नहर जो करही तक जाती है इन दिनों सूखी पड़ी किसानों को मुंह चिढ़ा रही है। सूखी नहर देख किसान विभाग को कोस रहे हैं और निजी संसाधनों के भरोसे सिचाई करने को मजबूर हैं।

यह नहर इस समय पूरी तरह से विभागीय उदासीनता का शिकार है। यदि नहर में पानी छोड़ दिया जाए तो किसानों को खेती किसानी करने में सहूलियत हो जाए। क्षेत्र के शाहपुर, धौरहरा, लटेरा, सत्तावारजोत, पठकोली, मानादेई, बहादुरपुर, शंकरजोत होते हुए करही तक जाने वाली इस नहर का कोई पुरसाहाल नहीं है। नहर में बूंद भर पानी नहीं है जबकि इस समय किसानों को सबसे ज्यादा पानी की आवश्कता है। किसानों को गेहूं, सरसो, मटर आदि फसलों में पानी चलाने की आवश्कता है, बाबजूद नहर में पानी ना आने से निजी संसाधनों का सहारा लेना पड़ता है। जिब्रील अहमद, मनौवर, राहुल, विनोद मिश्र, बंसीधर मौर्य आदि लोगों ने नहर विभाग से पानी छोड़ने की मांग की है। जेई नहर विभाग अरविन्द कुमार ने कहा कि अभी नहर से सिल्ट की सफाई करवाई गई है । जल्दी ही पानी छोड़ दिया जाएगा।

नहरें बेपानी, कैसे हो खेती

डुमरियागंज, सिद्धार्थनगर : मौसम की बेरूखी से किसान परेशान हैं। खेत में नमी नहीं है और गेहूं की बोआई करनी है। नहरों में पानी नहीं, जिसके चलते किसान पंपिगसेट से पानी चलाकर बोआई को मजबूर हैं।

गेहूं के बोआई में किसानों के पसीने छूट रहे हैं। पहले धान कटाई के बाद बिना पानी चलाए गेहूं की बोआई कर ली जाती थी, लेकिन इस बार खेतों में नमी नहीं है। सिचाई की व्यवस्था सुलभ करने के लिए नहर व ट्यूबवेलों की व्यवस्था जरूर है, लेकिन अधिकतर नलकूप खराब व नहरें बेपानी हैं। सरयू नहर खंड हो या ऊंचडीह रजवाहा, करही माइनर, पचऊथ शाखा की नहरें सूखी पड़ी हैं। बिन पानी नहरें खेती के खर्च में इजाफा कर रही हैं। नवीन का कहना है कि नहरों में समय से पानी नहीं छोड़ा जाता जिससे किसानों को दिक्कत हो रही है। मुकेश कहते हैं कि हर सीजन में यह समस्या बनी रहती है, जरूरत के वक्त खेतों तक पानी पहुंचाने में मशक्कत करनी पड़ती है। संजय कहते हैं कि किसानों की समस्या कोई सुनने वाला नहीं। जब पानी की जरूरत नहीं होती तो नहरों में पानी छोड़ा जाता है। गोविद कहते हैं कि डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं। ट्यूबेल खराब पड़े हैं और जिम्मेदार मौन हैं। एसडीएम त्रिभुवन ने कहा कि सभी नहर खंडों में पानी छोड़ने के निर्देश सरयू नहर खंड के अभियंता को दिए गए हैं।

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