फिर निराश लौटे रहे फरियादी

संपूर्ण समाधान दिवस में भले ही आला अधिकारी पहुंचे लेकिन समस्या निस्तारण की परिपाटी नहीं बदली। फरियादी यह सोचकर समाधान दिवस में पहुंचते हैं कि जब वरिष्ठ अधिकारी होंगे तो उनकी समस्या भी निस्तारित हो जाएगी लेकिन हकीकत ये है कि ऐसा कुछ नहीं हो रहा। फरियादियों के प्रार्थनापत्र सिर्फ जिम्मेदार विभागों के सुपुर्द हो जाता है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 Feb 2020 10:52 PM (IST) Updated:Tue, 18 Feb 2020 10:52 PM (IST)
फिर निराश लौटे रहे फरियादी
फिर निराश लौटे रहे फरियादी

सिद्धार्थनगर : संपूर्ण समाधान दिवस में भले ही आला अधिकारी पहुंचे, लेकिन समस्या निस्तारण की परिपाटी नहीं बदली। फरियादी यह सोचकर समाधान दिवस में पहुंचते हैं कि जब वरिष्ठ अधिकारी होंगे तो उनकी समस्या भी निस्तारित हो जाएगी, लेकिन हकीकत ये है कि ऐसा कुछ नहीं हो रहा। फरियादियों के प्रार्थनापत्र सिर्फ जिम्मेदार विभागों के सुपुर्द हो जाता है।

मंगलवार को डुमरियागंज के समाधान दिवस में डीएम व एसपी की मौजूदगी में फरियादियों को निराश लौटना पड़ा। ऐसे लोगों से बातचीत की गई जो लंबे समय से समाधान दिवस के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उनकी समस्या जस की तस है। इनकी सुनिए-

- गांव का चकरोड तोड़कर कुछ दबंग लोग कब्जा कर रहे हैं। पहले तो थाने को सूचित किया गया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। तीन बार से समाधान दिवस में प्रार्थना पत्र दे रहा हूं। हर बार सिर्फ जांच के लिए लिख दिया जाता है, कोई जांच के लिए नहीं पहुंचता- शंभू प्रसाद, सेखुई गोबर्धन

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- घर में मीटर नहीं लगा है। पिछले महीने 80 हजार आठ सौ का बिजली का बिल आया। आसान किश्त योजना में पंजीयन करवाकर 24 दिसंबर को पूरा बकाया जमा कर दिया। जनवरी महीने में ही दोबारा 21 हजार का बिल दे दिया गया। विभाग से संपर्क किया, लेकिन सिर्फ दौड़ाया गया। दो बार से समाधान दिवस में भी प्रार्थनापत्र दे रहा हूं, पर सुनने वाला कोई नहीं - मशहूर आलम, खुरपहवा

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- गांव में सड़क के लिए हम लोग वर्षों से मांग कर रहे हैं। पिछले महीने पता चला कि कागज में सड़क बन गई और सड़क के नाम पर पैसा भी खारिज हो गया, जबकि गांव में सड़क बनी ही नहीं है। चार बार से समाधान दिवस में प्रार्थनापत्र दे रहा हूं, लेकिन न तो सड़क बन रही है और न ही मामले की जांच हो रही है।- राम अंजोरे, सेखुई ताज

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- पति ने दूसरी शादी कर ली है मुझे तलाक भी नहीं दिया, लेकिन मुझे घर में रहने नहीं दिया जा रहा है। पुलिस नहीं सुन रही है और न तो समाधान दिवस में ही कोई निराकरण निकला- मोमिना खातून, पचउद

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