सड़क न आवास, यह कैसा विकास

गांव की कची सड़क पर भरा रहता है गंदा पानी

By JagranEdited By: Publish:Wed, 30 Dec 2020 08:39 PM (IST) Updated:Wed, 30 Dec 2020 08:39 PM (IST)
सड़क न आवास, यह कैसा विकास
सड़क न आवास, यह कैसा विकास

सिद्धार्थनगर: पंचायत चुनाव में समस्याओं से निजात दिलाने का वादा तो जनप्रतिनिधि जरूर करते हैं, लेकिन जीतने के बाद वह भूल जाते हैं। विकास खंड के ग्राम पंचायत बरगदवा सोयम के ग्रामीणों को इसका मलाल भी है। वह मूलभूत सुविधाओं के लिए टकटकी लगाए सिर्फ यही कहते हैं कि न तो सड़क है और न आवास ऐसे में हम क्या जाने क्या होता है विकास? जबकि इस ग्राम पंचायत में तीन कार्यकाल से एक के हाथ में गांव के विकास की डोर थमाए हैं।

ढाई हजार की आबादी वाले इस ग्राम पंचायत में मंझरिया, बटुलहा व बड़दाड़ तीन टोले भी शामिल हैं। गांव में सड़क, नाली, आवास की समस्या काफी प्रबल है। नाली के अभाव में कच्ची सड़क पर पानी व कीचड़ हर समय मौजूद रहता है। गांव में दो दर्जन से अधिक गरीबों को सरकारी आशियाने की आस है। मीरा, कौशिल्या, लखपाती, लूटा, सरिता, नीरा आदि के कच्चे मकान इस बार की बारिश में धराशायी हो गए अब यह पन्नी तान रहने को मजबूर हैं। सकमा, गायत्री, सुन्दरी, राम करन आदि का कहना था कि तीन पंचवर्षीय से एक ही प्रधान हर बार जीतते चले आ रहे हैं। इनकी सुनिए

पति व बच्चों के साथ खपरैल के मकान में जीवन यापन करना मजबूरी बन गया है। कई बार गुहार लगाने से भी नहीं कुछ हुआ। लोग मनमानी ही कर रहे।

जानकी देवी वर्षों पुराना खपरैल मकान था, जो बीते बरसात में आधे से अधिक गिरकर ध्वस्त हो गया। प्रधान व सेक्रेटरी से कहे कुछ नहीं हुआ पन्नी के नीचे परिवार रहता है।

अनार कली चुनाव के समय जो वादे किए वह आज तक पूरे नहीं हुए। गांव में न नाली है और न पक्की सड़क। सरकारी योजना भी जो है वह गरीबों की चौखट पर यह दम तोड़ दी है।

राम बिलास तीन वर्ष पहले पति का देहांत हो गया, तीन छोटे बच्चे है। लोगों के यहां मेहनत मजदूरी करके पेट पालन कर रही और झोपड़ी के नीचे कुनबे का गुजर बसर हो रहा।

सुनीता वित्तीय वर्ष 2017-18 में आठ लोगों का नाम आवास सूची में था जिसमें दो पात्र पाये गये। जो अछूते हैं उनके नाम अगली सूची में दिया जाएगा।

राम कवल यादव, ग्राम सचिव गांव में सड़क, नाली जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं है यह आश्चर्य ही है। गांव का निरीक्षण कर कमियों को दूर करने का प्रयास करेंगे।

सुशील कुमार पाण्डेय, बीडीओ, खेसरहा

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