राम वन गमन के प्रसंग का मंचन देख भर आई आंखें

सिद्धार्थनगर : नगर पंचायत के शाहपुर में रामलीला समिति के तत्वावधान में चल रहे रामलीला की चौथी रात कलाकारों द्वारा राम वनवास कार्यक्रम का सुंदर ढंग से मंचन किया गया। इस बीच जैसे ही श्रीराम वनवास की ओर बढ़ते हैं, श्रोताओं की आंखें भर उठती हैं। चारों तरफ दुख का माहौल व्याप्त जाता

By JagranEdited By: Publish:Sun, 18 Nov 2018 10:16 PM (IST) Updated:Sun, 18 Nov 2018 10:16 PM (IST)
राम वन गमन के प्रसंग का 
मंचन देख भर आई आंखें
राम वन गमन के प्रसंग का मंचन देख भर आई आंखें

सिद्धार्थनगर :

नगर पंचायत के शाहपुर में रामलीला समिति के तत्वावधान में चल रहे रामलीला की चौथी रात कलाकारों द्वारा राम वनवास कार्यक्रम का सुंदर ढंग से मंचन किया गया। इस बीच जैसे ही श्रीराम वनवास की ओर बढ़ते हैं, श्रोताओं की आंखें भर उठती हैं। चारों तरफ दुख का माहौल व्याप्त जाता है।

शनिवार की रात करीब आठ बजे शुरू हुए कार्यक्रम में कलाकारों ने दिखाया कि प्रभु श्री राम अपने कर्तव्यों का निर्वाहन करने के लिए चौदह वर्ष वनवास के लिए निकलते हैं। इस दौरान पूरा अयोध्या शोक में डूब जाता है। पूरे नगर वासी श्रीराम, लक्ष्मण व सीता जी के साथ चलने लगते है, किसी तरह समझा बुझा कर प्रभु उन्हें वापस अयोध्या भेजते हैं। इस मार्मिक दृश्य को देख कर पंडाल में उपस्थित दर्शकों की आंखों से आंसू गिरने लगते हैं। उधर दशरथ बदहवास की स्थिति में पड़े होते हैं। राम के बिछड़ने का दुख उनमें बढ़ता ही जा रहा था। कलाकारों ने हर ²श्य को इस तरह प्रस्तुत किया, कि सभी उसी में लीन नजर आए।

इस बीच शंकर जी की सुंदर झांकी भी प्रस्तुत की गई, जिसको देख श्रोता भाव विभोर हो उठे। मिट्ठू साहनी, महेश जायसवाल, तिलक राम, सुरेन्द्र साहनी, बसंत, विष्णु, सूरज अग्रहरि, शैलेन्द्र, राम सुमेर, रामनाथ, विशाल, अनिल, परमजीत, राजेश, वंशीधर आदि उपस्थित रहे।

भारत भारी प्रतिनिधि के अनुसार ऐतिहासिक पौराणिक स्थल पर नौ दिवसीय रामलीला का शुभारंभ शनिवार की रात हुआ। पहले दिन कलाकारों ने नारद मोह का मंचन सुंदर ढंग से किया। दिखया गया, कि नारद जी तपस्या कर रहे थे। इंद्र को अपनी कुर्सी का भय हो गया। कामदेव को भेजकर तपस्या भंग करने का प्रयास किया, जो विफल रहा। फिर कामदेव ने नारद से क्षमा मांग लिए। इस पर देर्विष नारद को कामदेव को जीतने का घमंड हो गया, इसे बताने के लिए वह शिवजी के पास चले गए। शिवजी ने कहा कि यह बात हरि यानी भगवान विष्णु को मत बताना, ¨कतु वह विष्णु भगवान को बताने चले गए। उक्त प्रसंग को देखने शुरू से अंत भीड़ मौके पर डटी रही। अमृतनाथ पाण्डेय व कपिल पाण्डेय द्वारा सभी के प्रति आभार ज्ञापित किया गया।

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