किराये के बोरे में हो रही धान खरीद

वासाचक सरकारी क्रय केंद्र का लक्ष्य भी पांच हजार क्विंटल का था खरीद 2800 क्विंटल से अधिक की हो चुकी है। कुल 97 किसानों से उपज खरीदी गई लेकिन यहां भी केंद्र पर बोरियां नहीं हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 03 Dec 2020 10:53 PM (IST) Updated:Thu, 03 Dec 2020 10:53 PM (IST)
किराये के बोरे में हो रही धान खरीद
किराये के बोरे में हो रही धान खरीद

सिद्धार्थनगर : किसान सरकारी बिक्री के लिए पंजीयन कराकर भी दर- बदर घूम रहे हैं। कहीं नमी बताकर किसानों से धान की खरीद नहीं किया जा रहा तो कहीं केंद्रों पर बोरे ही नहीं हैं। किसान अपने बोरे में तौल करा रहे हैं और प्रति बोरी 500 ग्राम की कटौती अलग से हो रही है। परेशान किसानों की सुधि लेने वाला कोई नहीं है।

धान क्रय केंद्रों पर सरकार ने किसानों की सुविधा के लिए बैठने, जलपान व अलाव की व्यवस्था के निर्देश दिए हैं, बावजूद किसी केंद्र पर इसकी व्यवस्था नहीं है। किसान सेवा समिति मानिकगंज चकचई खुला मिला। यहां पांच हजार क्विंटल खरीद लक्ष्य था, 3700 क्विंटल खरीद हुई है। सिर्फ 54 किसान यहां अब तक उपज बेचे हैं, बाकी पंजीयन कराकर भी केंद्र के चक्कर लगा रहे हैं। केंद्र पर बोरे नहीं हैं, किसानों के बोरों में तोल हो रही है। प्रति बोरी 500 ग्राम की कटौती तो हो रही है, लेकिन किसानों को तौल अनुरूप पैसा नहीं मिल रहा है। इसी प्रकार वासाचक सरकारी क्रय केंद्र का लक्ष्य भी पांच हजार क्विंटल का था खरीद 2800 क्विंटल से अधिक की हो चुकी है। कुल 97 किसानों से उपज खरीदी गई, लेकिन यहां भी केंद्र पर बोरियां नहीं हैं। बढ़नीचाफा केंद्र पर पांच हजार क्विंटल खरीद का लक्ष्य था, तीन हजार क्विंटल खरीद हुई, लेकिन बोरियों की किल्लत यहां भी बनी हुई है। साधन सहकारी समिति महुआरा का लक्ष्य 10 हजार क्विंटल निर्धारित था, लेकिन खरीद अब तक सात सौ क्विंटल ही हुई। बाकी किसानों को निराश लौटाने का काम हो रहा है।

एसडीएम त्रिभुवन ने कहा कि सभी केंद्र पर बोरे मौजूद हैं। अगर कहीं लापरवाही बरती जा रही है, तो औचक जांच कर संबंधित सचिव के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने की कार्रवाई होगी। अहमद ने कहा कि पंजीयन कराने के बाद भी वासाचक से उपज में नमी बताकर वापस कर दिया गया। मजबूरी में उपज 1200 रुपये क्विंटल की दर पर बेचना पड़ा।

लक्ष्मीनारायण पांडेय ने कहा कि पंजीयन बहुत पहले कराया गया, लेकिन बोरियां न होने के चलते हम लोगों की उपज अबतक नहीं खरीदी गई। सचिव बहानेबाजी कर रहे हैं। जीतेंद्र वर्मा कहते हैं कि किसानों से बोरियां मांगी जा रही हैं, लेकिन किसानों के पास बोरी नहीं है। ऐसे में वह अपनी उपज बिचौलियों के हाथों औने पौने रेट पर बेचने को मजबूर हैं।

अब्दुल अहद ने कहा कि अढ़ातिए औने पौने भाव में किसानों की उपज खरीद रहे हैं, लेकिन सरकारी क्रय केंद्र उदासीन बने हुए हैं। अढ़ातियों से धान खरीद कर लक्ष्य पूरा किया जा रहा है।

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