धान की फसल को हरदिया रोग से करें सुरक्षित
वर्तमान समय में खरीफ की मुख्य फसल धान है। इन दिनों धान की बालियां फूट रही हैं। जिसमें मुख्य रूप से मिथ्या कण्डुआ रोग (हरदिया रोग) का आंशिक प्रकोप क्षेत्र में देखा जा रहा है। जिसको लेकर किसानों को सतर्क रहने के साथ फसल को इस रोग सुरक्षित करना चाहिए नहीं तो उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
सिद्धार्थनगर : वर्तमान समय में खरीफ की मुख्य फसल धान है। इन दिनों धान की बालियां फूट रही हैं। जिसमें मुख्य रूप से मिथ्या कण्डुआ रोग (हरदिया रोग) का आंशिक प्रकोप क्षेत्र में देखा जा रहा है। जिसको लेकर किसानों को सतर्क रहने के साथ फसल को इस रोग सुरक्षित करना चाहिए, नहीं तो उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
कैसे फैलता है हरदिया रोग
धान की फसल में हरदिया रोग का प्रकोप उन क्षेत्रों में अधिक पाया जाता हे, जहां वायुमंडल में आद्रता 80 फीसद से अधिक तथा तापमान 25 से 35 डिग्री सेल्सियस होता है। रोग का प्रसार हवा के द्वारा एक पौधे से दूसरे पौधे में फैलता है। नाइट्रोजन की अधिक मात्रा भी इस रोग की तीव्रता का कारण है। जल भराव ज्यादा होने के कारण भी ये रोग अधिक फैलता है।
लक्षण
इस रोग के लक्षण पुष्पीकरण के दौरान दिखाई देते हैं। विशेष रूप से तब जब बालियां परिपक्वता तक पहुंचने वाली होती हैं। नारंगी, मखमली, अंडाकार हिस्सा, जिसका व्यास करीब एक सेमी होता है, अलग-अलग दानों पर दिखाई देते हैं। बाद में दाने पीले-हरे या हरे-काले में बदल जाते हैं। रोग ग्रसित दानों के वजन एवं बीज अंकुरण में कमी आती है। जिससे उत्पादन प्रभावित होता है।
क्या कहते हैं अधिकारी
जिला कृषि रक्षा अधिकारी बृजेश कुमार विश्वकर्मा ने किसानों को इस रोग एवं बचाव की दिशा में जागरूक किया। उन्होंने कहा कि किसान फसल की निगरानी करते रहें। रोग ग्रस्त पौधा दिखाई दे तो कटाई के समय रोगग्रस्त पौधों को नष्ट कर दें, जिससे अगली फसल इसका प्रभाव कम हो सके। समय से रोग का पता लग जाए तो कार्बेन्डाजिम 50 फीसद डब्लूपी 500 ग्राम प्रति हेक्टेयर या कापर आक्सीक्लोराइड 2 किग्रा प्रति हेक्टेयर अथवा प्रोपिकोनाजोल 25 प्रति ईसी की 500 मिली. प्रति हेक्टेयर पानी में घोल कर छिड़काव करें। जिससे फसल को सुरक्षित किया जा सके।