पाकिस्तान गए लोगों की संपत्ति राज्य सरकार के खाते में
देश विभाजन के बाद पाकिस्तान में जाकर बस गए स्थानीय लोगों की भूमि राज्य सरकार के खाते में शनिवार दर्ज कर ली गई। पांच माह पहले जागरण ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था और यह बताया था कि तहसील क्षेत्र में कई ऐसे लोग जो पाकिस्तान जा कर बस गए उनकी संपत्ति शत्रु संपत्ति नहीं घोषित हुई जिसके बाद प्रशासन ने तत्परता दिखाते हुए ऐसी भूमि का चिह्नांकन किया था।
सिद्धार्थनगर : देश विभाजन के बाद पाकिस्तान में जाकर बस गए स्थानीय लोगों की भूमि राज्य सरकार के खाते में शनिवार दर्ज कर ली गई। पांच माह पहले जागरण ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था और यह बताया था कि तहसील क्षेत्र में कई ऐसे लोग जो पाकिस्तान जा कर बस गए उनकी संपत्ति शत्रु संपत्ति नहीं घोषित हुई, जिसके बाद प्रशासन ने तत्परता दिखाते हुए ऐसी भूमि का चिह्नांकन किया था। एसडीएम त्रिभुवन ने इसकी रिपोर्ट डीएम को प्रेषित की थी, जिसके बाद डीएम ने इसे राज्य संपत्ति घोषित करने के आदेश दिए हैं।
भनवापुर के हटवा खुर्द में मो. कलूट, मो. कल्लू और खैरुन्निशा वर्ष 1955 में अपनी मर्जी से देश छोड़कर पाकिस्तान में जा बसे। उनकी जमीन पर आसपास के लोगों ने कब्जा जमाकर उपयोग करना प्रारंभ कर दिया था। इसी प्रकार डुमरियागंज के ग्राम पंचायत जमौतिया के कर्रार हुसेन, कल्लू हुसेन, मलिक अली, मुश्ताक अली, मो. जलील, मुकेश बीबी, सज्जाद अली भी अपनी भूमि छोड़कर पाकिस्तान चले गए। कुल चार एकड़ भूमि जिसे शत्रु संपत्ति घोषित करते हुए एसडीएम ने रिपोर्ट भेजी थी। डीएम के आदेश के बाद के बाद अब इस जमीन को राज्य सरकार के खाते में दर्ज कर लिया गया है।
मुकदमा दर्ज कराने का आदेश
राजस्व ग्राम कोसी खुर्द में नौखान की सुरक्षित भूमि पर शकीरा आदि ने चकबंदी विभाग की मिलीभगत से अपना नाम चढ़वा लिया था। इसी प्रकार खुनियांव ब्लाक के धोबहा एहतमाली में नदी की भूमि पर खदेरू, ठाकुर आदि ने अपने नाम चढ़वा लिया था। एसडीएम त्रिभुवन ने कब्जा निरस्त करने का आदेश देते हुए संबंधित के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के आदेश दिए हैं।