उम्मीदों पर फिरा पानी, उत्पादन देख किसान मायूस
इस बार बारिश भले ही ठीक-ठाक हुई हो परंतु बोआई के समय कम बारिश होने का असर अब धान कटाई के वक्त दिखाई दे रहा है। पिछले बार की अपेक्षा लागत ज्यादा लगी मगर उत्पादन काफी घट गया है। भनवापुर ब्लाक क्षेत्र में औसतन साढ़े तीन से चार क्विंटल प्रति बीघा धान की उपज हो सकी है।
सिद्धार्थनगर : इस बार बारिश भले ही ठीक-ठाक हुई हो, परंतु बोआई के समय कम बारिश होने का असर अब धान कटाई के वक्त दिखाई दे रहा है। पिछले बार की अपेक्षा लागत ज्यादा लगी, मगर उत्पादन काफी घट गया है। भनवापुर ब्लाक क्षेत्र में औसतन साढ़े तीन से चार क्विंटल प्रति बीघा धान की उपज हो सकी है। जबकि पहले छह से सात क्विटल धान का उत्पादन होता था। घटती उपज देख किसान चितित हैं, इस बार जमा-पूंजी निकलना मुश्किल हो गया है।
धान की पैदावार करने वाले किसान इस बार दुखी हैं। दिक्कत कीमतों से नहीं, बल्कि पैदावार को लेकर है। पिछली बार की अपेक्षा लागत अधिक लगने के बाद भी उत्पादन इस बार घट गया है। किसान अपनी किस्मत को कोस रहे हैं। वैसे किस्मत धान की रोपाई के समय से ही धोखा देती रही है। शुरुआत में कम बारिश होने से फसल की सिचाई भरपूर नहीं हो पाई। नहरों में भी पानी न के बराबर आया। ऐसे में निजी संसाधन का सहारा लेना पड़ा। डीजल व भाड़े के चलते बोआई काफी महंगी साबित हुई। कीटनाशकों का छिड़काव, खरपतवार निकलवाना, कटाई आदि में इतनी लागत लग गई, कि उपज से जमा-पूंजी निकालना मुहाल दिखाई दे रहा है। किसानों में ओंमकार शुक्ल ने बताया कि अभी धान की कटाई शुरू कराए हैं, प्रति बीघा औसतन साढे़ तीन क्विंटल ही निकल रहा है। चैतराम मिश्रा ने कहा कि दो बीघे में सात क्विटल निकला है। इसी तरह राकेश पाण्डेय के खेत में प्रति बीघा औसतन सवा तीन क्विटल तो दिनेश चंद्र मिश्रा के खेत में औसतन चार क्विंटल ही धान का उत्पादन हो सका है। घटती उपज ने सभी को परेशान कर दिया है।