पर्यावरण संदेश देने मुंबई से हिमालय तक कर रहे पदयात्रा
पर्यावरण का प्रेम ऐसा लगा कि लोगों को जागरूक करने 23 वर्षीय सिद्धार्थ गाणाई मुंबई से लेकर हिमालय तक को नापने पैदल ही निकल पडे़। जगह -जगह लोगों को पर्यावरण के विषय में बताते और उसे सुरक्षित रखने का लोगों को संकल्प दिला आगे के सफर पर निकल पड़ते।
सिद्धार्थनगर : पर्यावरण का प्रेम ऐसा लगा कि लोगों को जागरूक करने 23 वर्षीय सिद्धार्थ गाणाई मुंबई से लेकर हिमालय तक को नापने पैदल ही निकल पडे़। जगह -जगह लोगों को पर्यावरण के विषय में बताते और उसे सुरक्षित रखने का लोगों को संकल्प दिला आगे के सफर पर निकल पड़ते। 60 दिनों का सफर तय कर वह सोमवार दोपहर दो बजे बांसी पहुंचे और कुछ लोगों से मिलकर आगे के लिए प्रस्थान कर गए। उन्होंने अपने पर्यावरणीय इस अभियान को मोगली सफर का नाम दिया है। वह प्रतिदिन 35 से चालीस किमी का सफर तय करते हैं।
सिद्धार्थ गाणाई पीठ पर 20 किलो वजन का पिट्ठु बैग लिए हुए हैं, जिसमें एक डंडे में तिरंगा लहर रहा है। बैग पर उन्हों प्लास्टिक का एक बैनर लगा रखा है जिसपर लिखा है कि एक पेड़ इंसानियत के नाम, एक कदम परिवर्तन के नाम। उन्होंने बताया कि विद्यार्थी भारती के अभियान को लेकर महाराष्ट्र के सहयाद्री से हिमालय तक पैदल यात्रा करने में जो भी स्कूल मिलता वहां के बच्चों को पर्यावरण को सुरक्षित रखने का संकल्प दिलाता और इससे होने वाले खतरे को बताता हूं। पदयात्रा के दौरान 26 जगहों पर हमने पौधे भी लगाए हैं। इधर बारिश का समय नहीं है, इसलिए पौध नहीं लग पा रहे। सिद्धार्थ मुंबई के अंधेरी स्थित भवंस महाविद्यालय में बीएससी वनस्पति विज्ञान अंतिम वर्ष के छात्र हैं। उनका कहना कि मनुष्य बड़ी मात्रा में पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे। यदि आज से पेड़ों को न बचाए तो आगे आने वाली पीढ़ी को बड़ा नुकसान पहुंचने वाला है। वे बांसी से जोगिया, सिद्धार्थनगर, ककरहवा होते हुए नेपाल में प्रवेश करेंगे। जहां से वह अन्नपूर्णा तक पहाड़ी रास्तों से होकर गुजरेंगे। पढ़ाई के साथ ही खेल भी जरूरी : स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनगर : स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह ने कहा कि बच्चों के लिए पढ़ाई के साथ ही खेल भी जरूरी है। इससे इनका शारीरिक एवं मानसिक दोनों का विकास होता है।
स्वास्थ्य मंत्री सोमवार को बांसी स्थित ब्लाक संसाधन केंद्र परिसर में तहसील स्तरीय बाल क्रीड़ा प्रतियोगिता का उद्घाटन कर रहे थे। आपने संबोधन में उन्होंने कहा की बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए पढ़ाई के साथ खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन करना भी आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले गांव के बच्चों में अत्यधिक प्रतिभा छीपी रहती है। इन आयोजनों से हमें उनके अंदर छिपी प्रतिभा का भान होता है और उन्हें देश, प्रदेश का नाम रोशन कर खेल जगत के लिए तैयार किया जा सकता है। वास्तव में खेल शारीरिक, मानसिक, संवेदनात्मक एवं सामाजिक महत्व को सिद्ध करता है। खेल के माध्यम से छात्र छात्राओं के व्यक्तित्व का अच्छा विकास होता है। नैतिक दृष्टि से खेल आयोजनों से आत्म नियंत्रण, ईमानदारी, सच्चाई, निष्पक्षता, सहयोग व सहनशीलता जैसे गुर उत्पन्न होते हैं। प्रथम दिन मशाल जुलूस में पूर्व माध्यमिक विद्यालय बांसी की ममता, दौड़ में रोशन व नृत्य प्रतियोगिता में प्राथमिक विद्यालय कुशलपुर के छात्रों का दबदबा रहा। कार्यक्रम में बेसिक शिक्षा अधिकारी देवेंद्र कुमार पांडेय, खंड शिक्षा अधिकारी अखिलेश कुमार सिंह, अध्यापक रमेश चंद्र मिश्र, वरुणेंद्र राय, नंदेश्वर यादव, अनिल सिंह, सुधेंदु धर द्विवेदी, अनीता सिंह, अतुल श्रीवास्तव, धनंजय मिश्रा, सीमा द्विवेदी, डा.मीनाक्षी चतुर्वेदी आदि मौजूद रहे।