अब पानी की बोरिग के लिए कराना होगा पंजीकरण
बिना पंजीकरण के कोई भी ड्रिलिग नहीं करा सकेगा। इतना ही नहीं ड्रिलिग (बोरिग) करने वाली फर्म व कंपनी को भी अपना पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। ऐसा नहीं करने पर कार्रवाई की जाएगी। भूगर्भ जल के दोहन को देखते हुए यह नई व्यवस्था की गई है।
सिद्धार्थनगर: अगर आप अपने घर के लिए सबमर्सिबल पंप लगवा रहे हैं अथवा पानी के लिए किसी भी प्रकार का बोरिग करा रहे है, तो उसके लिए पंजीकरण करना होगा। बिना पंजीकरण के कोई भी ड्रिलिग नहीं करा सकेगा। इतना ही नहीं ड्रिलिग (बोरिग) करने वाली फर्म व कंपनी को भी अपना पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। ऐसा नहीं करने पर कार्रवाई की जाएगी। भूगर्भ जल के दोहन को देखते हुए यह नई व्यवस्था की गई है। राज्य के भूगर्भ जल प्रबंधन एवं विनियामक प्राधिकरण द्वारा अधिसूचना जारी कर दी गई है। जिसका अनुपालन नहीं करने पर कार्रवाई की जाएगी। व्यवसायिक उद्देश्य से ड्रिलिग (बोरिग) कराने वालों को शुल्क भी जमा करना होगा। बिना शुल्क जमा किए वह किसी भी प्रकार के भूगर्भ जल के दोहन के लिए ड्रिलिग नहीं करा सकेंगे।
वार्षिक शुल्क के लिए निर्धारित की गई है श्रेणी
सभी ड्रिलिग एजेंसी को पंजीकरण कराना अनिवार्य है, इसके बिना कोई ड्रिलिग का कार्य नहीं कर सकते। पकड़े जाने पर उनके विरूद्ध कार्यवाही की जाएगी। घरेलू एवं कृषि उपयोक्ता के लिए कोई शुल्क लागू नहीं है किन्तु पंजीकरण कराना अनिवार्य है। घरेलू एवं कृषि उपयोक्ता को छोड़कर अन्य अन्य को वार्षिक निकासी की मात्रा के अनुसार जल संरक्षण शुल्क जमा करना होगा। साथ ही साथ ड्रिलिग एजेन्सी को भी शुल्क की दर उस क्षेत्र की श्रेणी (सुरक्षित, सेमीक्रिटिकल, क्रिटिकल अतिदोहित / नोटिफाइड शहरी क्षेत्र) के अनुसार निर्धारित है।
पंजीकरण की प्रक्रिया
ड्रिलिग की अनुमति हेतु पंजीकरण के लिए ग्राउंड वाटर विभाग की वेबसाइट www.ह्वश्चद्द2स्त्रश्रठ्ठद्यद्बठ्ठद्ग.द्बठ्ठ पर जाकर किया जा सकता है। इस सम्बंध में किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए मोबाइल नं0 7755868790, 9450551977 पर संपर्क कर जानकारी हासिल कर सकते हैं।
नियम उल्लंघन पर लगेगा जुर्माना
किसी भी व्यवसायिक, औद्योगिक, इन्फ्रास्ट्रक्चर एवं बल्क यूजर्स द्वारा एक्ट के प्रावधानों के उल्लंघन की स्थिति में प्रथम अपराध के लिए दो लाख से पांच लाख अर्थदंड अथवा छह माह से एक वर्ष का कारावास अथवा दोनों हो सकता है। अपराध की पुनरावृत्ति पर प्राधिकार पत्र निरस्त करते हुए उपरोक्त दंड को दो गुना किया जायेगा। भूजल प्रदूषण के लिए दोषी पाए जाने की स्थिति में प्रथम अपराध के लिए दो तीन वर्ष का कारावास एवं पांच लाख से दस लाख अर्थदंड। अपराध की पुनरावृत्ति पर पांच वर्ष से सात वर्ष का कारावास तथा 10 लाख से 20 लाख का अर्थदंड का प्रावधान है।
जिलाधिकारी दीपक मीणा ने कहा कि भूगर्भ जल प्रबंधन परिषद के सदस्यों को अधिनियम का उल्लंघन करने पर जिम्मेदार के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है। इसके लिए परिषद के सदस्यों व सचिवों की भी जिम्मेदारी तय की गई है।