नहरों का जाल फिर भी पानी का अकाल

कहने को सरयू नहर खण्ड बांसी ने क्षेत्र में नहरों का जाल बिछा रखा है। पर जब किसानों को गेहूं की सिचाई के लिए पानी की सख्त जरूरत है तो नहरों ने धोखा दे दिया है। जिससे औने पौने दामों पर धान बेचने वाले निरीह किसानों पर सिचाई के रूप में अतिरिक्त भार की मार पड़ रही है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 01 Dec 2021 11:27 PM (IST) Updated:Wed, 01 Dec 2021 11:27 PM (IST)
नहरों का जाल फिर भी पानी का अकाल
नहरों का जाल फिर भी पानी का अकाल

सिद्धार्थनगर : कहने को सरयू नहर खण्ड बांसी ने क्षेत्र में नहरों का जाल बिछा रखा है। पर जब किसानों को गेहूं की सिचाई के लिए पानी की सख्त जरूरत है तो नहरों ने धोखा दे दिया है। जिससे औने पौने दामों पर धान बेचने वाले निरीह किसानों पर सिचाई के रूप में अतिरिक्त भार की मार पड़ रही है। उक्त खण्ड के अंतर्गत बिथरिया से रजवाहा निकला है जिसमें से बसडिलिया से कुंडी माइनर भी निकलती है। इसी प्रकार उपधि खुर्द गांव के पास से भी माइनर लोहरौली जैसे गांवों के लिए निकली है। जिससे क्षेत्र के दर्जनों गांवों के किसानों को खेतों को पानी मिलना था। परंतु जिम्मेदाऱों की उदासीनता से अबतक पानी नहीं छोड़ा गया। जिससे बसडिलिया, पोखरा, कुंडी, लोहरौली, देवरिया, परसा हुसेन, तरैना, उपधि, कुसहटा, जिमड़ी, तुरकौलिया, हरीबन्धन पुर, मल्हवार, परसा इमाद, भारत भारी, औसान कुइयां, भग्गोभार,पिपरा राम लाल, टिकरिया, कुसम्ही, ढेबरुआ, बढ़नी, कठवतिया आलम, कैथवलिया जैसे दर्जनों गांवों के किसानों को निजी संसाधनों के सहारे सिचाई करनी पड़ रही है, जबकि यहां के अधिकतर किसानों की जमीन नहर विभाग ने अधिग्रहित की है। नंदलाल, गोबर्धन, सकल प्रसाद, जयंत कुमार आदि ने कहा नहर विभाग को जमीन दी गई थी कि सिचाई की बेहतर सुविधा मिलेगी, लेकिन जरूरत के वक्त पानी नहीं छोड़ा जाता। अवर अभियंता ऋषि कुमार ने कहा कि सफाई हो गई है, शीघ्र पानी छोड़ दिया जाएगा।

मुख्य मार्ग पर गंदगी का अंबार, ग्रामीण परेशान

सिद्धार्थनगर : सरकार गांवों में स्वच्छता व उसके विकास के लिए तमाम योजनाएं चला रही पर जिम्मेदार अपनी शिथिलता से इस योजना की हवा निकाल रहे। गांव के विकास कार्य की बात तो दूर जाने वाले मुख्य मार्ग ही गंदगी से पटे हैं। कहीं मार्ग पर घरों से निकलने वाला गंदा पानी फैला रहता तो कहीं कूडे़ का ढेर लगा रहता है।

खेसरहा विकास क्षेत्र के ग्राम पंचायत बरगदवा सोयम में बटुलहा, बड्डाण, मंझरिया टोला शामिल है। इसकी आबादी 25 सौ के लगभग है। कई पंचवर्षीय योजनाएं बीत गईं पर गांव का अपेक्षित विकास दूर की कौड़ी है। बडडाण व बटुलहा में तो लोगों के घरों से निकलने वाला गंदा पानी गांव के मुख्य मार्ग पर फैला रहता है। ग्रामीण हर मौसम में बारिश का एहसास करते कीचड़ से गुजरते हैं। गांव में बनी नालियां ध्वस्त हो चुकी हैं। कहीं कच्ची नाली बना ग्रामीण काम चला रहे हैं। गांव के झिनकी,रामफेर, जगन्नाथ,धनई का कहना है कि पिछले पांच साल से प्रधान व सेक्रेटरी से बहुत बार कहा गया, लेकिन अमल नहीं किए। राम चन्दर, संजय, निर्मला, राम स्वरूप, पुद्दन आदि का कहना है कि गांव में काम कराने के लिए पैसे बहुत आते हैं, लेकिन उस पैसे को कहा खर्च किया गया, इसका पता नहीं चल पाया। एडीओ पंचायत खेसरहा बांके लाल ने कहा कि ग्रामीणों ने जब से मैं आया तब से इस तरह की शिकायत नहीं किए यदि यह समस्या है तो मैं गांव में जाकर जल निकासी का प्रबंध अवश्य कराऊंगा।

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