मंदिर-मस्जिद से दिए जा रहे कोरोना से बचाव के संदेश

पं. ठाकुर प्रसाद मिश्र मां काली शक्ति पीठ गालापुर ने बताया कि कोरोना संक्रमण का प्रभाव जबसे देश में बढ़ा है। हम लगातार मंदिर परिसर में हवन कार्यक्रम आयोजित करवा रहे हैं। संदेश भी प्रसारित किए जा रहे हैं ताकि लोगों तक बचाव की जानकारी पहुंचे।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 16 May 2021 10:33 PM (IST) Updated:Sun, 16 May 2021 10:33 PM (IST)
मंदिर-मस्जिद से दिए जा रहे कोरोना से बचाव के संदेश
मंदिर-मस्जिद से दिए जा रहे कोरोना से बचाव के संदेश

सिद्धार्थनगर: वैश्विक बीमारी कोरोना का खौफ अब मंदिर व मस्जिदों तक जा पहुंचा है। मंदिरों के खुलने और बंद होने का समय जहां बदल गया है। वहीं माइक से प्रसारित होने रिकार्डिंग भजनों के प्रसारण के बीच कोरोना से बचाव के उपाय बताए जा रहे हैं। मस्जिद भी पीछे नहीं हैं। वहां भी अजान के बाद ध्वनि विस्तारक यंत्र से कोरोना के विषय में लोगों को जागरूक किया जा रहा है।

डुमरियागंज तहसील क्षेत्र गंगा यमुनी तहजीब की नजीर है। यहां हिदू और मुसलमान जिस भाईचारगी व अमन चैन से रहते हैं, वह एक मिसाल है। एकजुटता की यही फितरत इन दिनों कोरोना को लेकर दिख रही है। क्षेत्र के प्रसिद्ध शक्ति पीठ गालापुर में कोरोना से बचाव के संदेश गूंजते हैं तो कस्बे के लक्ष्मीनारायण मंदिर में यह प्रारंभ हुआ है। मंदिरों से शुरू यह कवायद मस्जिदों तक जा पहुंची है। मरकजी जामा मस्जिद डुमरियागंज व परसा हुसैन जामा मस्जिद, भड़रिया आदि से भी अजान के बाद कोरोना से बचाव की उद्घोषणा हो रही है।

इमाम जमीर अहमद, बेलाल मस्जिद भड़रिया ने कहा कि कोरोना जैसी गंभीर बीमारी से बचने के लिए हर तदबीर अपनाएं जिससे बचा जा सके। इस्लाम कहता है कि सेहतमंद आदमी में कोई मर्ज सीधे दाखिल नहीं होता। अलबत्ता जराशीम (कीटाणु) उसे मुतास्सिर करते हैं। इस लिए डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी निर्देश मस्जिद से लोगों को बताया जा रहा।

पं. ठाकुर प्रसाद मिश्र, मां काली शक्ति पीठ गालापुर ने बताया कि

कोरोना संक्रमण का प्रभाव जबसे देश में बढ़ा है। हम लगातार मंदिर परिसर में हवन कार्यक्रम आयोजित करवा रहे हैं। संदेश भी प्रसारित किए जा रहे हैं, ताकि लोगों तक बचाव की जानकारी पहुंचे।

मौलाना अनवारुल हक कासमी, जामा मस्जिद परसा हुसेन ने बताया कि इस मर्ज की अभी तक कोई दवा न होने से एहतियात ही बचने का वाहिद (एकमात्र रास्ता) है। आज पूरी दुनियां के लोग असहाय स्थित में हैं। इस्लाम मे सफाई (पाकी•ागी) को ईमान का आधा (हिस्सा ) कहा गया। हदीस भी कहता है कि एक मरीज आदमी को सेहतमंद आदमी के पास जाने से बचना चाहिए। हम कोरोना से बचाव के उपाय मस्जिदों से इसी लिए बता रहे हैं।

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