पहले सिर्फ लगते थे नारे, अब अमर हो गए माधव बाबू

बांसी तहसील का तिवारीपुर गांव भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत की तैयारियां कर रहा है। यहां के ग्रामीण 30 जुलाई को बीएसए ग्राउंड में आयोजित होने वाली सभा में प्रधानमंत्री मोदी व मुख्यमंत्री का स्वागत करना चाहते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 12:03 AM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 12:03 AM (IST)
पहले सिर्फ लगते थे नारे, अब अमर हो गए माधव बाबू
पहले सिर्फ लगते थे नारे, अब अमर हो गए माधव बाबू

जितेंद्र पाण्डेय, सिद्धार्थनगर:

बांसी तहसील का तिवारीपुर गांव भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत की तैयारियां कर रहा है। यहां के ग्रामीण 30 जुलाई को बीएसए ग्राउंड में आयोजित होने वाली सभा में प्रधानमंत्री मोदी व मुख्यमंत्री का स्वागत करना चाहते हैं। यह उत्साह इसलिए है, क्योंकि प्रधानमंत्री जिस मेडिकल कालेज का लोकार्पण करने सिद्धार्थनगर आ रहे हैं, वह इसी गांव के माधव प्रसाद त्रिपाठी उर्फ माधव बाबू के नाम पर है। स्व. माधव प्रसाद त्रिपाठी जनसंघ के संस्थापक सदस्य, प्रदेश भाजपा के पहले अध्यक्ष, सांसद और विधायक रहे हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि माधव बाबू पहले सिर्फ नारों में थे, यह पहला कदम है, जो उन्हें अमर कर जाएगा। गांव के 55 वर्षीय सुभाष चंद्र त्रिपाठी कहते हैं कि माधव बाबू गांव ही नहीं, पूर्वांचल के बड़े नाम हैं। यहां माधव बाबू जिंदाबाद का नारा लगाने मात्र से भीड़ जुट जाया करती थी। यह पहला मौका है, जब उनके नाम पर इतना बड़ा काम हुआ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्व. माधव प्रसाद त्रिपाठी को अमर कर दिया। गांव के ही सर्वेंद्र कुमार का कहना है कि कोई भी जब यह कहेगा कि वह माधव प्रसाद त्रिपाठी मेडिकल कालेज से उपचार कराकर आ रहे हैं, हमारा सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा।

50 वर्षीय हरीश कुमार त्रिपाठी का कहना है कि पूरे गांव ने प्रधानमंत्री के स्वागत की तैयारी की है। हम सभी उनका स्वागत करने जाएंगे। छोटी सी किराना दुकान चलाने वाले 47 वर्षीय राधेश्याम त्रिपाठी कहते हैं कि 30 जुलाई को कार्यक्रम में जाने के लिए नया कुर्ता पायजामा तैयार करा रहे हैं। दुकान भी बंद रखेंगे। राधेश्याम बताते हैं कि अविवाहित रहे स्व.त्रिपाठी के स्वजन बाहर रहते हैं। उनका पुश्तैनी घर व मंदिर आज भी मौजूद है। इस मंदिर का जनसहयोग से जीर्णोद्धार भी कराया गया है।

राजनीति से दूर है परिवार

सर्वेंद्र कहते हैं कि आज के समय में लोग राजनैतिक पृष्ठभूमि का लाभ उठाते हैं। जनप्रतिनिधि अपनी परिवार के लोगों को राजनीति विरासत में देते हैं। यह माधव बाबू के संस्कारों की देन है कि उनके परिवार से किसी ने भी उनके नाम का लाभ नहीं लिया।

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