मजबूरी में ही सही, जाना तो पड़ेगा वापस
लॉकडाउन में तमाम दुश्वारियां सहने वाले लोग अब दोबारा मुंबई दिल्ली गुजरात जाने के बारे में तौबा कर रहे हैं मगर कुछ लोग ऐसे हैं जो कहते हैं कि मजबूरी में ही सही जाना तो पड़ेगा। क्योंकि यहां तो रोजगार मिलना बड़ा मुश्किल है।
सिद्धार्थनगर : लॉकडाउन में तमाम दुश्वारियां सहने वाले लोग अब दोबारा मुंबई, दिल्ली, गुजरात जाने के बारे में तौबा कर रहे हैं, मगर कुछ लोग ऐसे हैं, जो कहते हैं कि मजबूरी में ही सही, जाना तो पड़ेगा। क्योंकि यहां तो रोजगार मिलना बड़ा मुश्किल है।
ब्लाक क्षेत्र के बेनीपुर उर्फ पुरैना निवासी अब्दुल्लाह महाराष्ट्र सतारा में रहते थे। इनका काम गादी (गद्दा) बनाना और उसे दूसरे गांव में ले जाकर बेचना था। इनके पास आधा दर्जन लोग काम कर रहे थे। लॉकडाउन में काम बंद हुआ तो सभी बेरोजगार हो गए, मुश्किलें बढ़ी तो इसी महीने की शुरुआत में घर आ गए। इनका कहना है कि मनरेगा कार्य कर नहीं सकते हैं, जो उनका व्यवसाय है, उसकी यहां कोई डिमांड नहीं है। मजबूरी में ही सही मगर इंतजार है कि माहौल कुछ बेहतर हो, तो दोबारा जाकर अपने कारोबार को फिर से शुरू कर सकें। उसका बाजार के निवासी रवि शंकर दिल्ली में एक निजी कंपनी में कार्यरत हैं। एमबीए किए हैं, पिछले वर्ष से नौकरी कर रहे हैं। लॉकडाउन में घर आए हैं। इनका कहना है कि मनरेगा में उनके लायक कोई काम नहीं है। लॉकडाउन के बाद फिर दिल्ली जाना पड़ेगा।