अव्यवस्था से जूझ रही है कठौतिया गोकुल गोशाला

प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद बेसहारा पशुओं को आश्रय देने के लिए शासन से न्याय पंचायत स्तर पर गोशाला निर्माण कराने की योजना बनाई गई। जगह-जगह गोशाला बनाई भी गई मगर धन अभाव अब समस्या पैदा करने लगा है। बिना धन गोशाला की स्थिति यह है कि इसमें रहने वाले पशुओं की हालत अभी भी बेसहारा जैसी ही दिखाई दे रही है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 18 Oct 2021 11:20 PM (IST) Updated:Mon, 18 Oct 2021 11:20 PM (IST)
अव्यवस्था से जूझ रही है कठौतिया गोकुल गोशाला
अव्यवस्था से जूझ रही है कठौतिया गोकुल गोशाला

सिद्धार्थनगर :प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनने के बाद बेसहारा पशुओं को आश्रय देने के लिए शासन से न्याय पंचायत स्तर पर गोशाला निर्माण कराने की योजना बनाई गई। जगह-जगह गोशाला बनाई भी गई, मगर धन अभाव अब समस्या पैदा करने लगा है। बिना धन गोशाला की स्थिति यह है कि इसमें रहने वाले पशुओं की हालत अभी भी बेसहारा जैसी ही दिखाई दे रही है।

भनवापुर विकास खंड अन्तर्गत हटवा न्याय पंचायत की गोशाला कठौतिया गोकुल में बनाई गई। पिछले जनवरी माह से इसका संचालन भी शुरू हो गया। मौके पर इन दिनों 32 पशु आश्रय लिए हुए हैं। जिनकी स्थिति बेसहारा जैसी प्रतीत होती है। भूसा तो पर्याप्त मात्रा में यहां उपलब्ध है, मगर हरे चारे की कोई व्यवस्था नहीं है। जिसके कारण तमाम पशु गोशाला के अंदर ही चारे की तलाश में इधर-उधर भटकते फिर रहे हैं। छांव की व्यवस्था भी अपर्याप्त है। जिसकी वजह है ज्यादातर पशु धूप में झुलसते व बारिश में भीगने को विवश हैं। एक पशु पैर में चोट के कारण चल पाने में असमर्थ है। जिसका कोई पुरसाहाल नहीं है।

ग्राम प्रधान का कहना है कि बाड़े के एंगल, तार, नादा, टीन शेड आदि का भुगतान ही हो सका है। पशुओं के चारा-पानी हेतु आने वाला धन कई माह से नहीं मिला है।जैसे-तैसे गोशाला संचालित कराई जा रही है।

भनवापुर के बीडीओ धनंजय सिंह ने कहा कि प्रत्येक गोशाला में हरा चारा और सुरक्षा इंतजाम करने के निर्देश दिए गए हैं, अगर कहीं समस्या है तो वह जांच कर निस्तारण कराने का प्रयास करेंगे। मौसम की बेरुखी देख किसानों के होश उडे़

सिद्धार्थनगर : मौसम के लगातार बदलते चक्र से किसान हलकान हैं। खेतों मे अगैती धान की फसल तैयार हो चुकी थी कि आंधी व बारिश ने उसे खेत में लिटा दिया है। साथ ही इससे पलिहर पडे़ खेतों मे आलू, मटर, सरसों आदि को बोने का समय भी पिछड़ता जा रहा है।

तेज हवा के साथ मौसम ने करवट बदला तो आसमान में बादलों ने डेरा जमा लिया। कहीं हल्की और कहीं मध्यम वर्षा ने एक तरफ मौसम को खुशगवार बना दिया वहीं कंबाइन की प्रतीक्षा कर रहे तमाम किसानों के चेहरों पर चिता के बादल लहरा गए। रबी के फसलों के लिए धान की अगैती नस्ल की खेती सहित पलिहर छोडे किसान चिता में नजर आ रहे। अधिक बारिश होने की दशा में फसलों के गिर जाने से उत्पादन पर संकट खड़ा हो गया है। अधिकतर लोग धान कटने के बाद खेतों में सरसो, मटर, आलू के साथ शरदकालीन सब्जियों की खेती करते हैं। इस बेमौसमी बारिश से खेती के टाइमिग पर असर भी पडे़गा जिससे पहले से तिल तिल करके महंगाई से झुलस रहे लोगों के सामने महंगाई और बढे़गी। किसान राम वृक्ष पांडेय का कहना है कि तेज बारिश होने बहुत कुछ चौपट हो गया। प्रगतिशील किसान राजेश चौधरी का कहना है कि रबी के फसलों में देरी हो रहा है। अक्टूबर के पहले सप्ताह से लेकर चौथे सप्ताह तक बोआई का समय माना जाता है। अभी तक अधिक नमी के कारण खेतों की जोताई नहीं हो पाई है।

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