बारिश का जल सहेजता है झुझरा तालाब

जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती जा रही है तालाब व पोखरे सूख रहे हैं। पशु पक्षी समेत आमजन भी बेहाल हैं। पारा बढ़ने के साथ ही जल स्तर कम होता जा रहा है। आम लोग तो किसी तरह से पानी की व्यवस्था कर ले रहे हैं। मगर पशु पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था करना मुश्किल है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 12:12 AM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 12:12 AM (IST)
बारिश का जल सहेजता है झुझरा तालाब
बारिश का जल सहेजता है झुझरा तालाब

सिद्धार्थनगर : जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती जा रही है तालाब व पोखरे सूख रहे हैं। पशु पक्षी समेत आमजन भी बेहाल हैं। पारा बढ़ने के साथ ही जल स्तर कम होता जा रहा है। आम लोग तो किसी तरह से पानी की व्यवस्था कर ले रहे हैं। मगर पशु पक्षियों के लिए पानी की व्यवस्था करना मुश्किल है। ऐसे में तालाब वर्षा जल संचयन कर भूजल की स्थिति सुधारने के साथ ही पशु पक्षी के प्यास बुझाने में मददगार साबित हो रहे हैं। डुमरियागंज विकास क्षेत्र के झुझरा ग्राम पंचायत महतिनिया के राजस्व गांव कर्बला स्थित तालाब जल संचयन के सपनों को साकार कर रहा है। पूर्व ग्राम प्रधान ने चार साल पहले मनरेगा के तहत इस तालाब का सुंदरीकरण कराया था। तालाब के चारों तरफ सुंदरीकरण कार्य किया गया था ताकि अधिक जल संचय हो सके। यह तालाब हमेशा वर्षा के पानी से भरा रहता है। तपती धूप में बेजुबान तालाब के जल से अपनी प्यास बुझा रहे हैं। गर्मी के समय जब गांव में तालाब सूख जाते हैं उस समय भी यह पानी से भरा रहता है। तालाब लोगों को जल संरक्षण का संदेश दे रहा है। पूर्व प्रधान राम गणेश ने कहा कि कल को सुरक्षित रखने के लिए जल का संचयन जरूरी है। पानी की हर बूंद महत्वपूर्ण है। इसे सहेजने की मुहिम में हर किसी की सहभागिता जरूरी है।

नहरों का संजाल, नहीं मिल रहा किसी को लाभ

सरयू नहर खंड तृतीय व चतुर्थ द्वारा नहरों का जाल बिछा हुआ है। बावजूद इसके अधिकतर नहरें बेपानी ही रहती हैं। नहरों में पानी उस वक्त छोड़ा जाता है जब धान की रोपाई हो चुकी होती है, अथवा किसान गेहूं की बोआई कर चुके हैं। समय से पानी न आने के चलते नहर के पानी का उपयोग किसान नहीं कर पाते। जिससे उन्हें आर्थिक क्षति उठानी पड़ती है। पचऊथ , खुनियांव, भवानीगंज सहित अन्य माइनर फरवरी माह से सूखी पड़ी हैं अबतक पानी नहीं आया। चिलचिलाती धूप में पशु पक्षी पानी के लिए व्याकुल हैं। सब्जी उगाने वाले किसान पंपिगसेट के भरोसे खेती कर रहे हैं। वहीं अन्य किसानों को चिता खाए जा रही है कि आने वाले समय में वह धान की नर्सरी व रोपाई कैसे करेंगे। विभिन्न किसान संगठनों व क्षेत्रीय लोगों ने नहरों में पानी छोड़ने की लगातार मांग की बावजूद नहरें सूखी की सूखी ही हैं। ऊंचडीह रजवाहा, सोहना माइनर, धोबहा, सेमरी नहर व उतरौला पंप प्रणाली से संचालित किसी भी नहर में पानी नहीं है। जिसके चलते किसान परेशान हैं। एसडीएम त्रिभुवन ने कहा दोनों नहर खंड के अभियंताओं से पानी छोड़ने के निर्देश दिए जा चुके हैं। शीघ्र पानी छोड़ा जाएगा।

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