सब्जी की फसल पर कीटों का प्रकोप, उत्पादन प्रभावित
राप्ती नदी की तटवर्ती ग्राम पंचायतें सब्जी उत्पादन में अग्रणी हैं। नकदी फसल के रूप में किसान सब्जियां उगाकर ही परिवार का भरण पोषण करते हैं। वीरपुकोहल एहतमाली असनहरा नेबुआ मठिया औरंगाबाद गौरा धोबहा आदि क्षेत्रों में सब्जियों की खेती अबतक बाढ़ के पानी से बर्बाद हो रही थी।
सिद्धार्थनगर: डुमरियागंज क्षेत्र में सब्जियों की फसल पर इन दिनों कीटों का प्रकोप बढ़ गया है, जिसके चलते उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। अभी तक बाढ़ के पानी ने सब्जियों की फसल को बर्बाद किया था, पानी घटने के बाद कीटों के प्रकोप ने किसानों को सकते में डाल दिया है। तमाम कीटनाशकों के छिड़काव के बाद भी फसल बचती नहीं दिख रही है।
राप्ती नदी की तटवर्ती ग्राम पंचायतें सब्जी उत्पादन में अग्रणी हैं। नकदी फसल के रूप में किसान सब्जियां उगाकर ही परिवार का भरण पोषण करते हैं। वीरपुकोहल, एहतमाली, असनहरा, नेबुआ, मठिया, औरंगाबाद, गौरा, धोबहा आदि क्षेत्रों में सब्जियों की खेती अबतक बाढ़ के पानी से बर्बाद हो रही थी। पानी घटा तो अब तना व फल छेदक कीटों ने फसल पर हमला बोल दिया है। टमाटर, नेनुआ, तरोई, लौकी, करैला, बोड़ा, बैंगन और भिडी जैसी फसल इसके चलते प्रभावित हो रही है। एक तरफ पौधे इस प्रभाव में आकर सूख रहे हैं तो दूसरी तरफ तैयार सब्जियों में कीड़े पड़े मिल रहे हैं। बाजार में रोगग्रस्त सब्जियों के खरीदार नहीं मिल रहे हैं। पटखौली निवासी अनिल गौतम ने बताया कि भिडी पांच मंडी में लगाए थे, लेकिन फसल रोगग्रस्त निकल रही है। जमापूंजी निकाल पाना मुश्किल है। गौरा निवासी अमरेंद्र यादव कहते हैं कि उन्होंने टमाटर व बैंगन लगाया था। मौजूदा समय में पौधे कीटों के प्रकोप से सूखते जा रहे हैं। कई प्रकार के कीटनाशकों का प्रयोग किया, लेकिन कोई लाभ नहीं मिला। सोहना कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानी डा. मारकंडेय सिंह ने कहा कि इमिडाक्लोप्रिड दवा एक मिलीलीटर तीन लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव तब करें जब आसमान साफ हो।