अधूरे तो कहीं लकड़ी घर बने शौचालय

गांव को स्वछ रखने के लिए सरकार ने निजी व सामुदायिक शौचालयों पर करोड़ों रुपये तो खर्च कर दिया पर यह स्वछ भारत मिशन को मुंह ही चिढ़ा रहे हैं। कही शौचालय अर्ध निर्मित हैं तो कहीं बने हुए शौचालय को ग्रामीणों ने अपना स्टोर रूम बना लकड़ी व अन्य घरेलू सामान रखे हुए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 03 Sep 2021 11:49 PM (IST) Updated:Fri, 03 Sep 2021 11:49 PM (IST)
अधूरे तो कहीं लकड़ी घर बने शौचालय
अधूरे तो कहीं लकड़ी घर बने शौचालय

सिद्धार्थनगर : गांव को स्वच्छ रखने के लिए सरकार ने निजी व सामुदायिक शौचालयों पर करोड़ों रुपये तो खर्च कर दिया पर यह स्वच्छ भारत मिशन को मुंह ही चिढ़ा रहे हैं। कही शौचालय अर्ध निर्मित हैं तो कहीं बने हुए शौचालय को ग्रामीणों ने अपना स्टोर रूम बना लकड़ी व अन्य घरेलू सामान रखे हुए हैं। सामुदायिक शौचालय की स्थिति भी बदतर है। इनका आधा अधूरा निर्माण करा कर पूरा भुगतान करा लिया गया है।

मिठवल विकास क्षेत्र के ग्राम पंचायत नचनी में कुल 381 शौचालय हैं। बीस शौचालय ऐसे हैं जिसमें दरवाजा, सीट व गड्ढे न होने से निष्प्रयोज्य हैं। इसी के टोला में सीहाझूड़ी में सामुदायिक शौचालय का निर्माण कराया गया है। जो आज तक अपूर्ण और बाहर से ताला बंद है। पानी का मोटर व बिजली की व्यवस्था नहीं हैं।

ग्राम पंचायत नंदाव में कुल 289 में 271 अनुदानित शौचालय का निर्माण हो पाया है। इसमें भी 15 शौचालय अपूर्ण हैं। सामुदायिक शौचालय में मोटर, टंकी, वाटर सप्लाई नहीं है। गांव के 12 शौचालय ऐसे भी हैं, जिन्हें लाभार्थी अपना स्टोर रूम बना उसमें लकड़ी व अन्य कबाड़ रखे हैं। ऐसे परिवार शौच के लिए सड़क पर जाते हैं।

मिठवल ब्लाक के ही ग्राम पंचायत महुआ कला में 111 परिवारों को अनुदानित शौचालय दिया गया है। 25 शौचालय आज तक अधूरे हैं। जिनका उपयोग अपने घर गृहस्थी का सामान रख कर रहे हैं। यहां बने सामुदायिक शौचालय में टंकी, मोटर, टाइल्स आदि नहीं लगा है। बाहर से रंगाई करके भुगतान करा लिया गया है। ग्रामीण इसका प्रयोग अब तक नहीं किए हैं।

एडीओ पंचायत मिठवल श्रीनिवास सिंह ने कहा कि सामुदायिक शौचालय को सही कराने का निर्देश सचिव को दिया गया था। नचनी, महुआ एवं नंदाव में बने अनुदानित शौचालय का स्थलीय निरीक्षण कर जो कमियां होंगी, उसे ठीक कराया जाएगा। यदि शौचालय अधूरा है और भुगतान पूरा हुआ है तो संबंधित पर कार्रवाई की जाएगी।

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