यहां बीमारों का इलाज है, अस्पताल का नहीं

होम्योपैथिक का एक ऐसा अस्पताल है जहां प्रतिदिन 80 से 100 मरीज इलाज कराने आते हैं शनिवार और सोमवार को ये संख्या 120 से 150 तक पहुंच जाती है। चिकित्सक की तैनाती के बाद हर दिन अस्पताल मरीजों से खचाखच भरा रहता है। लेकिन समस्याओं का निस्तारण नहीं हो पा रहा।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 21 Sep 2021 12:01 AM (IST) Updated:Tue, 21 Sep 2021 12:01 AM (IST)
यहां बीमारों का इलाज है, अस्पताल का नहीं
यहां बीमारों का इलाज है, अस्पताल का नहीं

सिद्धार्थनगर : होम्योपैथिक का एक ऐसा अस्पताल है, जहां प्रतिदिन 80 से 100 मरीज इलाज कराने आते हैं, शनिवार और सोमवार को ये संख्या 120 से 150 तक पहुंच जाती है। चिकित्सक की तैनाती के बाद हर दिन अस्पताल मरीजों से खचाखच भरा रहता है। लेकिन समस्याओं का निस्तारण नहीं हो पा रहा।

वर्ष 2018 में इटवा कस्बे में राजकीय होम्योपैथिक चिकित्सालय की स्थापना हुई। अस्पताल ऐसी जगह बनाया गया, जहां कोई सुलभ रास्ता नहीं है। चकरोड़ व पगडंडी ही आवागमन का सहारा है। बारिश में स्थिति बदतर हो जाती है। पहले यहां चिकित्सक की तैनाती नहीं थी तो फिर सन्नाटे जैसी स्थिति रहती थी। अक्टूबर 2020 में चिकित्साधिकारी के रूप में डा.इतिका सिंह की नियुक्ति हुई तो अस्पताल के दिन ही बहुर गए। अब हर रोज मरीजों का जमावड़ा लगा रहता है। परंतु जो भी यहां आते हैं, उन्हें मुसीबत झेलनी पड़ रही है। रास्ता न होने से चिकित्सक व स्टाफ थोड़ी देर स्थित रफीक अहमद के घर के अंदर से आते-जाते हैं। जबकि मरीजों को काफी दूर पगडंडी रास्ते से होकर आना-जाना पड़ता है। पेयजल के लिए पानी की टंकी लगी थी, जो महीनों पूर्व तेज आंधी में गिरी तो दोबारा नहीं लग सकी। देसी नल लगा है, जिसकी शुद्धता जहां सवालों के घेरे में है, वहीं आए दिन नल खराब भी हो जाता है। बिजली सुविधा है, लेकिन पिछले पांच दिनों से किसी गड़बड़ी की वजह से बिजली आपूर्ति ठप है।

सोमवार को अस्पताल पर डा. इतिका सिंह मौजूद मिलीं। यहां तैनात फार्मासिस्ट आशीष चौबे की ड्यूटी एक महीने से शोहरतगढ़ के डेकहरी गांव के अस्पताल पर लगी हुई। वार्ड ब्वाय नंदलाल की तबीयत खराब होने के कारण अवकाश पर थे। इकलौती डाक्टर मरीजों के बीच घिरी हुई दिखी। गर्मी, ऊपर से भीड़। हर कोई पसीने में तर-बतर रहा। मरीजों का कहना है कि अस्पताल से उनको बहुत लाभ मिलता है, लेकिन समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं देता है। व्यापार मंडल के उपाध्यक्ष रिजवान सिद्दीकी का कहना है कि स्वास्थ्य मंत्री का जिला होने के कारण यहां के अस्पतालों की समस्याएं प्राथमिकता के आधार पर निस्तारित होनी चाहिए।

राजकीय होम्योपैथिक चिकित्साधिकारी डा. इतिका सिंह ने कहा कि मुझे आए करीब एक वर्ष हुए। मरीजों को बेहतर चिकित्सीय सेवाएं दी जा रही हैँ। दवाएं तो उपलब्ध हैं। परंतु पेयजल व रास्ते की समस्या है। इसके लिए उच्चाधिकारियों को भी जानकारी दी गई है। यदि समस्याएं दूर हो जाएं तो हर किसी के लिए सुविधा आसान हो जाए।

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