धर्म स्थापना के लिए अवतरित होते हैं भगवान: धीरज कृष्ण
नगर पंचायत के बढ़नीचाफा स्थित धर्मशाला में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में आचार्य धीरज कृष्ण जी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण की जन्म कथा सुनाई। प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे। महिलाओं ने सोहर गीत गाकर खुशियां मनाई।कथा व्यास ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने भक्तों का उद्धार व पृथ्वी को दैत्य शक्तियों से मुक्त कराने के लिए अवतार लिया था।
सिद्धार्थनगर : नगर पंचायत के बढ़नीचाफा स्थित धर्मशाला में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में आचार्य धीरज कृष्ण जी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण की जन्म कथा सुनाई। प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे। महिलाओं ने सोहर गीत गाकर खुशियां मनाई।कथा व्यास ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने भक्तों का उद्धार व पृथ्वी को दैत्य शक्तियों से मुक्त कराने के लिए अवतार लिया था। कहा कि जब-जब पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान धरती पर धर्म स्थापना के लिए अवतरित होते हैं। श्रीकृष्ण के जन्म का प्रसंग व उनके जन्म लेने के गूढ़ रहस्यों को कथा व्यास ने बेहद संजीदगी के साथ सुनाया। कथा प्रसंग सुनाते हुए कथा व्यास ने बताया कि जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी, तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा। सात संतानों के बाद जब देवकी गर्भवती हुई, तो उसे अपनी इस संतान की मृत्यु का भय सता रहा था। भगवान की लीला वे स्वयं ही समझ सकते हैं। भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण को लेकर वासुदेव जी गोकुल पहुंच गए। वहां अपने मित्र नंद और यशोदा को सौंपकर उनके यहां जन्मी कन्या को लेकर वापस लौट आए। वही कन्या कंस के हाथों छूटकर अष्टभुजी देवी के रूप में विध्य क्षेत्र में स्थापित हो गई। कथा का संगीतमयी वर्णन सुन व झांकी देख श्रद्धालुगण झूमने लगे। धर्मराज वर्मा, संतोष सैनी, प्रभाकर दास, मनोज यादव, दिलीप गुप्ता, मुन्नालाल, अमित आदि मौजूद रहे। अखंड रामायण के आयोजन को लेकर हुई चर्चा सेवा निवृत्त अधिकारी एवं कर्मचारी संघ की एक बैठक संगठन के अध्यक्ष माधव प्रसाद त्रिपाठी के नगर स्थित आवास पर हुई जिसमें अखंड रामायण पाठ के आयोजन पर चर्चा की गई। सर्वसम्मत से लोगों ने कहा कि विगत 18 वर्षों से बऊरहवा बाबा स्थान पर होते चले आ रहे इस कार्यक्रम को इस बार 15 एवं 16 अगस्त को कराया जाएगा। इस दौरान दिवंगत हुए कर्मचारियों के आत्मा की शांति के लिए दो मिनट का मौन रख ईश्वर से प्रार्थना भी की गई। उक्त आशय की जानकारी कार्यक्रम आयोजक पूर्व प्राचार्य कालिका प्रासाद त्रिपाठी ने दी।