पुरानी पेंशन पर टिप्पणी से कर्मचारियों में रोष

ओपीएस (पुरानी पेंशन योजना) पर विधान परिषद में सभापति की टिप्पणी का वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो गया है। जिसे देख कर्मचारियों में निराशा है। उनका कहना है कि पुरानी पेंशन बहाली पर चर्चा करवाने की जगह इस प्रकार मखौल उड़ाना उनके आंदोलन पर कुठाराघात है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 05 Mar 2021 12:23 AM (IST) Updated:Fri, 05 Mar 2021 12:23 AM (IST)
पुरानी पेंशन पर टिप्पणी से कर्मचारियों में रोष
पुरानी पेंशन पर टिप्पणी से कर्मचारियों में रोष

सिद्धार्थनगर : ओपीएस (पुरानी पेंशन योजना) पर विधान परिषद में सभापति की टिप्पणी का वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो गया है। जिसे देख कर्मचारियों में निराशा है। उनका कहना है कि पुरानी पेंशन बहाली पर चर्चा करवाने की जगह इस प्रकार मखौल उड़ाना उनके आंदोलन पर कुठाराघात है।

बता दें कि पुरानी पेंशन बहाली के लिए कर्मचारी संगठन आंदोलन चलाते आ रहे हैं। बीते दिनों सदन की कार्रवाई के दौरान जब सदस्य आशुतोष सिन्हा ने नई पेंशन नीति के दुष्प्रभाव पर सवाल उठाते हुए चर्चा चाही तो सभापति ने इस पर हंसते हुए सदस्य पर यह टिप्पणी कर दी कि आप क्यों परेशान हैं, नई पेंशन योजना आप पर लागू नहीं है। सभापति के लहजे से कर्मचारियों में उबाल है। जिला अध्यक्ष, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ आदित्य शुक्ला ने बताया कि जैसा कि वायरल वीडियो में स्पष्ट है कि पेंशन जैसे अति महत्वपूर्ण मुद्दे पर पर भी कर्मचारियों को छला गया है। नई व्यवस्था व पुरानी पेंशन व्यवस्था के हानि लाभ से सदन पूर्ण वाकिफ है। कर्मचारियों पर नई पेंशन थोपकर बेवकूफ बनाया गया है। समस्त कर्मचारी सभापति की टिप्पणी से निराश हैं।

जिलाध्यक्ष, अटेवा जनार्दन शुक्ला ने कहा कि कर्मचारियों के बुढ़ापे की पीड़ा को दूर करना सरकार व सभी निर्वाचित सदस्यों की जिम्मेदारी है। इस मुद्दे पर गम्भीरता पूर्वक सदन मे चर्चा की आवश्यकता थी। पुरानी पेंशन व्यवस्था कैसे बहाल हो, इस पर चर्चा कराने की जगह परिहास कर इस पर विराम लगाना चिताजनक है। सदन में इस पर गंभीर चर्चा जरूरी है।

ग्राम विकास अधिकारी संघ जिला उपाध्यक्ष अभिषेक सिंह का कहना है कि सभापति का ओपीएस ( पुरानी पेंशन योजना) से वंचितों पर हंसना, भारत के 70 लाख पीड़ितों का अपमान है। पेंशन विहीन इस अपमान को कभी नहीं भूलेगा। सरकार को इस पर विचार करना चाहिए और पुरानी पेंशन को बहाल करना चाहिए यहीं हम सभी की मांग है।

वीरेंद्र कुमार ने कहा कि निर्वाचित सदस्य एनपीएस का दंश समझ पाते तो स्थिति ऐसी नहीं होती। कर्मचारियों के बुढ़ापे के बारे में सोचना होगा जिन्हें नाममात्र पेंशन मिल रही है। सदन में इसपर चर्चा की जगह परिहास करना खेदजनक है।

बेमतलब समिति, किसानों को नहीं मिलती सुविधाएं

सिद्धार्थनगर : किसानों की सुविधा के लिए स्थापित की गईं साधन सहकारी समिति अब स्वयं सुविधाओं की मोहताज हैं। उपेक्षा का आलम यह है कि भवन खण्डहर के रूप में तब्दील हो रहा हैं। इसका कोई पुरसाहाल नहीं है। ऐसे में समिति पर कभी खाद या अन्य वस्तुएं आ भी जाती हैं तो उसे रखने के लिए किराए के गोदाम का सहारा लेना पड़ता है।

सहिजवार में साधन सहकारी समिति हटवा के नाम से स्थापित है। जो काफी समय से बदहाल है। शासन की मंशा थी, कि समिति के संचालन से किसानों को खाद, बीज, कीट नाशक दवाएं आदि सामग्री आसानी से मिल जाया करेगी। परंतु समिति किसान सुविधाओं के लिए बेमतलब साबित हो रही है। बरसों पुराना भवन जर्जर होकर अब ढहने लगा है। जब भवन नहीं है तो फिर भला किसानों की सुविधाओं वाली वस्तुएं यहां कैसे उपलब्ध होंगी। हां कभी यदि खाद समिति पर आ जाती है, तो मजबूरी में उसे प्राइवेट किराए के गोदाम में रखना पड़ता है, जहां समिति को अतिरिक्त व्यय भी करना पड़ता है। किसानों में रामयश चौधरी व आज्ञाराम का कहना है कि समिति से किसानों को किसी प्रकार का लाभ नहीं मिल पाता है। शमशेर व लक्ष्मण चौधरी ने कहा कि समिति के बदहाल भवन की मरम्मत पर जब ध्यान नहीं दिया जाता है तो सुविधाएं कहां उपलब्ध होंगी। जिला कृषि अधिकारी सीपी सिंह ने कहा की कार्यसमिति ककी बैठक में प्रस्ताव दिया गया है।

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