फर्जी शपथ पत्र में फंसे पूर्व बीएसए राम सिंह, वर्तमान पर संदेह
जिले में मान्यता प्राप्त विद्यालयों के संबंध में मांगी गई सूचना न देने और फर्जी शपथ पत्र प्रस्तुत करने के आरोप में पूर्व बीएसए राम सिंह फंस गए हैं। वर्तमान बीएसए राजेंद्र सिंह के शपथ पत्र पर भी आयोग ने संदेह जताया है।
सिद्धार्थनगर: जिले में मान्यता प्राप्त विद्यालयों के संबंध में मांगी गई सूचना न देने और फर्जी शपथ पत्र प्रस्तुत करने के आरोप में पूर्व बीएसए राम सिंह फंस गए हैं। वर्तमान बीएसए राजेंद्र सिंह के शपथ पत्र पर भी आयोग ने संदेह जताया है। क्षतिपूर्ति के लिए आयोग ने राम सिंह को 31 मार्च तक प्रस्तुत होने को कहा है। बीएसए राजेंद्र सिंह को भी अपना पक्ष रखना होगा। तत्कालीन सीडीओ हर्षिता माथुर को आयोग ने पक्ष रखने के लिए एक और मौका दिया है।
बेसिक शिक्षा से गायब फाइलें तब मिलीं जब सूचना आयोग ने बीते छह जनवरी को संबंधित पर मुकदमा दर्ज कराने के आदेश दिए थे। दरअसल पिछले तीन वर्ष से बेसिक शिक्षा विभाग से जन सूचना अधिकार अधिनियम के तहत सूचना नहीं दी जा रही है। इस मामले में तैनात रहे अधिकारियों और संबंधित पटल देख रहे अनिल कुमार सिंह और मुकुल मिश्र को आयोग ने अपना पक्ष रखने के लिए कहा था। सुनवाई पिछले 10 फरवरी को हुई। जिसमें तत्कालीन सीडीओ हर्षिता माथुर को पक्ष रखना था, लेकिन वह नहीं पहुंची। उन्हें एक मौका और दिया गया है।
गैर मान्यता संचालित हो रहे स्कूलों के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब न देने पर उत्तर प्रदेश सूचना आयोग ने तत्कालीन बीएसए मनिराम सिंह और राम सिंह पर 25-25 हजार का जुर्माना लगा चुका है। तत्कालीन बीएसएस डा. सूर्य कांत त्रिपाठी अपना पक्ष रख चुके हैं। आरटीआई कार्यकर्ता एवं अधिवक्ता देवेश मणि त्रिपाठी ने जन सूचना अधिकारी बीएसए मनिराम सिंह से नवंबर 2017 में गैर मान्यता प्राप्त स्कूलों को वर्ष 2015-16, वर्ष 2016-17 एवं एक अप्रैल 2017 से 31 अक्टूबर तक जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सिद्धार्थनगर से जारी की गई नोटिसों का पूर्व विवरण, कार्रवाई का पूर्ण विवरण एवं बंद कराए गए विद्यालयों की सूची एवं उनके खिलाफ कार्रवाई की छायाप्रति मांगी थी। राज्य सूचना आयुक्त सुभाष चंद्र सिंह ने अपने दस फरवरी के आदेश में कहा है कि तत्कालीन पूर्व बीएसए राम सिंह ने आयोग को गुमराह किया है। वादी को सूचना न मिलने पर संबंधित पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।