पहले आग ने जलाया, अब बाढ़ ने रुलाया
बूढ़ी राप्ती और घोरही नदी के दोआब में बसे खैरी शीतल प्रसाद के ग्रामीण जहां हर साल बाढ़ की त्रासदी झेलने को मजबूर हैं वहीं इस साल उन पर दोहरी मार पड़ी है।
सिद्धार्थनगर : बूढ़ी राप्ती और घोरही नदी के दोआब में बसे खैरी शीतल प्रसाद के ग्रामीण जहां हर साल बाढ़ की त्रासदी झेलने को मजबूर हैं, वहीं इस साल उन पर दोहरी मार पड़ी है। इसी साल 10 अप्रैल को आग लगने से 400 बीघा गेहूं की फसल जलकर राख हो गई थी। अब सैकड़ों बीघा फसल पानी में डूब कर बर्बाद हो चुकी है।
खैरी शीतल प्रसाद के पन्नापुर, नकोलेडीह, शिवदुलारेडीह टोले और तालकुण्डा का टोला तमकुहवा एक सप्ताह से पूरी तरह मैरूंड रहा। चिरहगना, खैरी, करौता, और टीकर टोले की अधिकांश फसल जलमग्न हैं। इधर नदियों का जलस्तर कम होने से बाढ़ भी घट रहा था। लेकिन दो दिन से लगातार बारिश होने से एक बार फिर जलस्तर बढ़ने से लगा है, जिससे लोग भयभीत हैं।
करौता के राम उजागिर का कहना है कि गर्मी में हम लोगों की गेहूं की फसल आग लगने से जल कर राख हो गई। अब धान की फसल बाढ़ में डूब कर बर्बाद हो गया। अभी तक हमारे टोले के लोगों को राहत के नाम पर कुछ मिला भी नहीं है। इकरौता के रघ्घू का कहना है कि पहले आग ने हम लोगों को बर्बाद कर किया। अब गंगा मैया बर्बाद करने पर उतारू हैं। प्रशासन से भी राहत के नाम पर अभी कुछ नहीं मिला है। बस आश्वासन ही दिया जा रहा है।
पन्नापुर के रामजियावन ने कहा कि
साहब हर साल बाढ़ आने से हम लोग नारकीय जीवन जीने पर मजबूर हैं। इसके रोकथाम के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किया जाता है। बाढ़ के समय पर बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं। पन्नापुर के रामवृक्ष ने कहा कि चारों तरफ से बाढ़ के पानी से घिरे हुए हैं। राहत के नाम पर प्रशासन द्वारा सिर्फ राहत सामग्री मिला है। लेकिन इससे निपटने का कोई ठोस उपाय नहीं किया जा रहा है।