पानी की जगह नहर में हो रही खेती
पड़ोसी जनपद संतकबीरनगर से सरयू नहर की मुख्य से चार वर्ष पूर्व सात किमी लंबी देउरी माइन का निर्माण हुआ। उद्देश्य खजुरी कर्मा सप्ती भनवापुर सहित सौ से अधिक सिवानों को सिंचित करना था।
सिद्धार्थनगर: सबसे बड़े सिचाई साधन में शुमार नहर प्रणाली कई क्षेत्रों में किसानों के लिए बेमतलब साबित हो रही है। वहां नहरों में पानी नहीं हैं। किसान भी अपनी कीमती जमीन देकर ठगा महसूस कर रहा। आक्रोश ऐसा कि वह बेपानी नहरों में खेती करने लगा। जहां पानी बहना चाहिए वहां लहसुन, प्याज व मूली की फसल लहलहा रही है।
पड़ोसी जनपद संतकबीरनगर से सरयू नहर की मुख्य से चार वर्ष पूर्व सात किमी लंबी देउरी माइन का निर्माण हुआ। उद्देश्य खजुरी, कर्मा, सप्ती, भनवापुर सहित सौ से अधिक सिवानों को सिंचित करना था। इसमें किसानों ने अपनी कीमती जमीन को हंसी खुशी इस लिए दिया कि सिचाई का साधन मिलने से उनकी उपज बढेगी।
यहां उग रही नहर में फसल
खेसरहा ब्लाक क्षेत्र के ग्राम ,देउरी, अर्जी, देवगह, कंचनपुर से होकर गुजरी नहर में पानी नहीं आने से लोग इसमें खेती कर रहे हैं। विभाग के लोग भी इससे वाकिफ हैं पर ध्यान नहीं देते। जय प्रकाश शुक्ला ने कहा कि नहर हमारे खेतों से होकर गुजरी है, जिससे हमारा दो बीघा खेत कौड़ियों के भाव चला गया। जमीन भी कम हो गई । नहर को बने चार साल हो गया आज तक पानी नहीं आया ।
देवराज शुक्ल ने कहा कि एक बीघा खेत मेरा नहर में गया। आस थी सिचाई के लिए इधर उधर भटकना नहीं पड़ेगा। डीजल का अतिरिक्त बोझ भी नहीं पड़ेगा। लेकिन आज तक इसमें पानी ही नहीं आया। इकबाल ने कहाकि खेत के बीच से नहर गुजरी तो खेत भी नहर के दोनों तरफ हो गया। पानी भी नहीं मिला। इससे अच्छा तो बिना नहर ही ठीक था। खेत भी आधा बीघा इसमें चला गया।
बब्लू पांडेय ने बताया कि सोचा था कि नहर के पानी से सिचाई करके कुछ फायदा मिलेगा लेकिन वह आस आज अब तक अधूरी रह गई। पानी नहीं दे सकता विभाग तो हमारे खेत ही वापस कर दे।