आलू में झुलसा रोग को लेकर सतर्क रहे किसान

आलू की अगैती बोआई शुरू हो गई है। किसान खेत में देखभाल करने में लगे हैं। लेकिन मौसम की बेरुखी से आलू की फसल में पिछेता झुलसा रोग लगने की संभावना पैदा होने लगी है। इससे बचाव के लिए किसानों को अभी से तैयार रहना होगा।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 20 Oct 2021 11:47 PM (IST) Updated:Wed, 20 Oct 2021 11:47 PM (IST)
आलू में झुलसा रोग को लेकर सतर्क रहे किसान
आलू में झुलसा रोग को लेकर सतर्क रहे किसान

सिद्धार्थनगर : आलू की अगैती बोआई शुरू हो गई है। किसान खेत में देखभाल करने में लगे हैं। लेकिन मौसम की बेरुखी से आलू की फसल में पिछेता झुलसा रोग लगने की संभावना पैदा होने लगी है। इससे बचाव के लिए किसानों को अभी से तैयार रहना होगा। मैदानी इलाकों में यह रोग बड़ी तेजी से फैलता है। पैदावार पर भी इसका खासा असर पड़ता है।

नवंबर के मध्य से ही इस रोग के फैलने की संभावना होती है। वातावरण में नमी, दिन में बादल व धुंध, रुक-रुक कर बारिश होने पर यह रोग तेजी से फैलता है। रोग ग्रसित पौधे की पत्तियों पर भूरे रंग के दाग के चारों ओर हल्के पीले रंग का घेरा पड़ जाता है। बाद में दाग भूरे-काले और पानी में भीगे हुए लगते है। सुबह पत्तियों पर फफूंद लग जाती है। इससे बचाव के लिए मेंकोजेब युक्त दवा का पहले से छिड़काव करना चाहिए। रोग ग्रसित होने के बाद मेटोलेक्सल युक्त दवा का छिड़काव करें। इससे बीमारी रूक जाती है।

यह बरतें सावधानी सभी पौधे व पत्ती पर दवा का छिड़काव करना आवश्यक है। अनुकूल मौसम बने रहने पर दोबारा दवा का छिड़काव करें। 65 से 70 दिन की फसल पर झुलसा रोग का प्रभाव कम नहीं हो रहा है तो ग्रसित डंडिया और पत्ते काट कर मिट्टी में दबा दे। खोदाई के समय दाग लगे आलू को छांटकर अलग कर दें। उप निदेशक कृषि एलबी यादव ने कहा कि अक्टूबर मध्य से नवंबर के मध्य तक आलू की बोआई का उचित समय है। कुछ प्रजातियों में झुलसा रोग होने की संभावना अधिक होती है। बारिश व धुंध में यह रोग तेजी से पकड़ता है। ऐसे में किसानों को सावधानी बरतने की आवश्यकता है। आवश्यकता पड़ने पर वह कृषि विशेषज्ञ से भी सलाह ले सकते हैं।

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