शोहरतगढ़ सीएचसी पर सुविधाएं नाकाफी, वेंटिलेटर नहीं

कोरोना संक्रमण के तीसरी लहर की आशंका अगस्त के दूसरे सप्ताह से की जा रही है। बावजूद अस्पताल की तैयारी अभी आधी अधूरी है। डाक्टरों की कमी है। वेंटिलेटर नहीं है। तीमारदारों के ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। यहां बचों के डाक्टर न होने से संक्रमण पर इलाज की समस्या सामने आएगी।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 11:15 PM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 11:15 PM (IST)
शोहरतगढ़ सीएचसी पर सुविधाएं नाकाफी, वेंटिलेटर नहीं
शोहरतगढ़ सीएचसी पर सुविधाएं नाकाफी, वेंटिलेटर नहीं

सिद्धार्थनगर : कोरोना संक्रमण के तीसरी लहर की आशंका अगस्त के दूसरे सप्ताह से की जा रही है। बावजूद अस्पताल की तैयारी अभी आधी अधूरी है। डाक्टरों की कमी है। वेंटिलेटर नहीं है। तीमारदारों के ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। यहां बच्चों के डाक्टर न होने से संक्रमण पर इलाज की समस्या सामने आएगी। अस्पताल में आक्सीजन के लिए पंद्रह कंसंट्रेटर उपलब्ध हैं। तीस बेड मौजूद हैं। चार एम्बुलेंस हैं। डाक्टरों के कुल आठ पद सृजित हैं। लेकिन अधीक्षक व महिला डाक्टर समेत सिर्फ चार की तैनाती है।गायनी चिकित्सक के न होने से गर्भवती महिलाओं का आपरेशन से प्रसव नहीं हो पा रहा है। प्रसव के लिए सर्जरी की आवश्यकता पड़ने पर मरीजों को निराशा हाथ लगती है। अल्ट्रासाउंड कक्ष न होने से भी मरीजों को बाहर जाना पड़ता है।

दोपहर एक बजे अपने कक्ष में डा. राकेश मौर्य व पी कुमार मरीजों को देखते मिले। महिला डाक्टर नमिता शुक्ला के कक्ष का फाटक बंद रहा । स्टाफ से पूछने पर पता चला कि उनकी ड्यूटी जिला अस्पताल के मेट्रो लीगल में लगा है। औषधि कक्ष व एक्सरे रूम खुला मिला। औषधि कक्ष में फार्मासिस्ट प्रेमचंद गुप्ता ने बताया कि दवा की कोई कमी नहीं है। कोरोना प्रोटोकाल की सभी दवा मौजूद है। अन्य रोगों का भी दवा के साथ सैनिटाइजर भी उपलब्ध है। प्रयोगशाला में एलटी संतोष जायसवाल मरीजों के खून का जांच करते दिखे। अस्पताल में लगे आरों से पानी आ रहा था। शौचालय में सभी फाटक टूटे मिले और गंदगी की भरमार रही। अर्थों, चर्मरोग विशेषज्ञ आदि पदों पर भी कोई तैनाती नहीं मिली। इमरजेंसी वार्ड में दो मरीजों का इलाज किया जा रहा था। ओपीडी में तीमारदारों व मरीजों के बैठने के लिए अस्पताल में तीन सीटर की तीन बेंच उपलब्ध है। बिजली की आकस्मिक व्यवस्था के लिए 10 केवीए जनरेटर लगा है। दो बजे तक ओपीडी में कुल 95 मरीज देखे गए।

अकालबुना ने कहा कि मुझे बुखार है। अस्पताल से दवा मिली है। लेकिन दवा कैसे खानी है, यह नहीं बताया गया। फिर डाक्टर के यहां जा रही हूं।

रामचंद्र ने कहा कि सांस फूलने की बीमारी है। कुछ दवा अस्पताल से मिली है कुछ बाहर से लिखा गया है। सरकारी अस्पताल किस काम के जब सभी दवाएं अंदर नहीं हैं। दयाल ने कहा कि मेरे बीबी के बहन प्रभावती को बुखार था। डाक्टर टाइफाइड जांच कराने के लिए लिखे। लेकिन जांच अंदर नहीं हुआ। हमें बाहर से कराना पड़ा। राम सेवक मौर्य ने कहा कि सीने में दर्द है। एक्सरे अस्पताल में हुआ है। सरकारी दवाएं नहीं हैं। चिकित्सक ने बाहर से दवा लिखी है। यह अव्यवस्था बंद होनी चाहिए। सीएचसी अधीक्षक डा. पंकज वर्मा ने कहा कि अल्ट्रासाउंड कक्ष, वेंटिलेटर व तीमारदारों के ठहरने के लिए रेन बसेरा बनवाने की चिठ्ठी लिखी गई है। दवाओं की कमी नहीं है। आक्सीजन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। बाल रोग विशेषज्ञ ना होने से तीमारदारों को परेशानी होती है।

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