दुकानों पर नहीं उपलब्ध है डीएपी व यूरिया

बाजार में खाद की किल्लत है। डीएपी नहीं मिल रही है। किसान खरीफ की कटाई करके अगैती फसलों की बोआई करने के लिए खेतों को तैयार करने में जुटे हैं। लेकिन डीएपी खाद नहीं मिलने से परेशानी बढ़ गई है। दुकानों पर अभी तक डीएपी पहुंच से दूर है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 Oct 2021 11:04 PM (IST) Updated:Sun, 17 Oct 2021 11:04 PM (IST)
दुकानों पर नहीं उपलब्ध है डीएपी व यूरिया
दुकानों पर नहीं उपलब्ध है डीएपी व यूरिया

सिद्धार्थनगर : बाजार में खाद की किल्लत है। डीएपी नहीं मिल रही है। किसान खरीफ की कटाई करके अगैती फसलों की बोआई करने के लिए खेतों को तैयार करने में जुटे हैं। लेकिन डीएपी खाद नहीं मिलने से परेशानी बढ़ गई है। दुकानों पर अभी तक डीएपी पहुंच से दूर है। वहीं दुकानदार एक सप्ताह के बाद खाद की रैक पहुचने की बात कह रहे हैं। सरकार की ओर से यूरिया 266.50 व डीएपी का 1212 रुपये प्रति बोरी मूल्य निर्धारित है।

कुछ निजी दुकानदारों के पास पुराने स्टाक की खाद उपलब्ध है तो वह उसे मनमाने मूल्य पर बेच रहे हैं। जिला कृषि अधिकारी सीपी सिंह ने बताया कि खाद की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाएगी। समय से किसानों को डीएपी व यूरिया किसानों को मिलेगी। अगर कोई दुकानदार अधिक मूल्य वसूल कर रहा है तो जांच कर उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।

विनय चौधरी ने कहा कि सरकार किसानों के मुनाफे में वृद्धि के लिए कार्य कर रही है। लेकिन समय से खाद नहीं मिलने के कारण महंगे दामों पर खरीदना पड़ रहा है। बाजार में अभी तक डीएपी खाद का कोई पता नही है। समितियां सूनी पड़ी हैं। बाजार में दुकानदार मनमानी कर रहे हैं।

अमरेश चौधरी ने कहा कि बाजार में अभी तक डीएपी का रैक नहीं पहुंचना विभागीय लापरवाही ही माना जाएगा। जिम्मेदारों को चाहिए कि किसानों के लिए खाद, बीज समय से उपलब्ध कराएं। जिस कारण उन्हें खेती के समय खाद के लिए कहीं भटकना नहीं पड़े। समितियों पर कोई जिम्मेदार नहीं मिलता है। प्रहलाद यादव ने कहा कि डीएपी खाद का रैक अभी तक नहीं आना किल्लत का सबसे बड़ा कारण हैं। समितियां पर ताला लगा रहता है। खाद समय पर मिलने से खेती में थोड़ी बहुत सहूलियत मिल जाती है। इस वर्ष बारिश अच्छी होने के कारण से खरीफ फसल की पैदावार बढि़या होने की संभावना है।

शिवनाथ चौधरी ने बताया कि कृषि विभाग को चाहिए कि समय से रैक लगवाकर डीएपी मंगवाए और समितियों पर खाद की उपलब्धता निश्चित करे। जिससे हम किसानों को निर्धारित मूल्य पर खाद मिल सके और इधर उधर भटकना न पड़े। इस समय खाद की जरूरत हैं, जबकि बाजार से खाद गायब है।

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