दो दशक बाद भी पशु अस्पताल का निर्माण अधूरा

सुनने एवं पढ़ने में अजीब और आश्चर्य जनक भले ही लगे मगर है सोलह आना सच। एक करोड़ रुपये से ऊपर की लागत से बनने वाली पशु अस्पताल की बिल्डिग का निर्माण करीब दो दशक बाद भी पूर्ण नहीं हो सका है। अधूरा भवन निर्माण सरकारी धन के लूट की कहानी भी स्वत बयान कर रहा है बावजूद इसके जिम्मेदार आंखें मूंदे हुए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 12:00 AM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 12:00 AM (IST)
दो दशक बाद भी पशु अस्पताल का निर्माण अधूरा
दो दशक बाद भी पशु अस्पताल का निर्माण अधूरा

सिद्धार्थनगर : सुनने एवं पढ़ने में अजीब और आश्चर्य जनक भले ही लगे मगर है सोलह आना सच। एक करोड़ रुपये से ऊपर की लागत से बनने वाली पशु अस्पताल की बिल्डिग का निर्माण करीब दो दशक बाद भी पूर्ण नहीं हो सका है। अधूरा भवन निर्माण सरकारी धन के लूट की कहानी भी स्वत: बयान कर रहा है, बावजूद इसके जिम्मेदार आंखें मूंदे हुए हैं। खुद का भवन विभाग को नसीब नहीं हो पा रहा है जिसके कारण आज भी चिकित्सालय किराए के भवन में ही चल रहा है।

1997-98 में डुमरियागंज तहसील क्षेत्र के ग्राम परसा हुसैन में पशु अस्पताल बनना शुरू हुआ। भवनों की श्रृंखला में तीन आवासीय परिसर, एक भव्य दवा वितरण केंद्र, दो पशु बांधने का स्थान, एक कृत्रिम गर्भाधान केंद्र व एक मुख्य भवन शामिल रहा। सारे भवनों के निर्माण की जिम्मेदारी सीएनडीएस कार्यदायी संस्था को सौंपी गई। बिल्डिग निर्माण में ठेकेदार व विभागीय अधिकारियों की मिली भगत से धन का खूब बंदरबांट हुआ। यही वजह रही कि कुछ महीनों में ही निर्माण ठप हो गया। अधूरे कार्य की वजह से भवन संबंधित विभाग के हैंडओवर भी नहीं हो सका।एक बार काम जो ठप हुआ तो दुबारा चालू न हो सका। जिसकी मुख्य वजह पूर्ण बजट का जारी न होना बताया जा रहा है। इसीलिए कार्यदायी संस्था भी भाग खड़ी हुई। विभागीय अधिकारियों ने उच्चाधिकारियों समेत प्रमुख सचिव व शासन तक चिट्ठी लिखी, परंतु इस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। जिलाधिकारी से लेकर मंडलायुक्त स्तर से भी पत्र भेजा गया, लेकिन नतीजा सिफर रहा। अब तो ऐसी उम्मीद भी नहीं दिखाई दे रही है, कि भवन पूरा भी हो सकेगा।

वर्तमान में स्थिति यह है कि सभी भवन अधूरे हैं। अस्पताल भवन से लेकर आधे-अधूरे आवास जो बने थे वह भी जर्जर होने लगे, क्योंकि एक तो मानक की अनदेखी कर कार्य कराया गया दूसरे देखरेख भी किसी जिम्मेदार द्वारा नहीं किया गया। ऐसे में कहीं जंगला टूट चुका है, तो कहीं दरवाजा गायब, भवन भी लोगो द्वारा अपने अनुसार प्रयोग किया जाता है। जो भूसा आदि रखने के काम आ रहा है। जगह-जगह प्लास्टर भी उखड़ रहा है। यही हालत रही तो भवन हैंडओवर होने से पहले ही खंडहर हो जाएगा। परिसर में जो हैंडपंप लगे थे, वह भी खराब पड़े हैं। आधा हिस्सा तो जमीन में गायब हो चुका है।

एसडीएम त्रिभुवन ने कहा कि समस्या संज्ञान में है, बजट भी पूरा जारी नहीं किया गया। लखनऊ तक लिखा-पढ़ी विभाग ने की है। प्रमुख सचिव से लेकर शासन स्तर पर चिट्ठी भेजी गई, परंतु कुछ भी नहीं हुआ। उम्मीद पूरी तरह धुंधली होती दिख रही है, वैसे अपने स्तर से हम पुन: पत्र उच्चाधिकारियों समेत शासन को लिखेंगे, जिससे अधूरा निमार्ण कार्य पूर्ण कराया जा सके।

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