पर्यटन दिवस पर हुई प्रतियोगिता, छात्रों ने जाना इतिहास

सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में विश्व पर्यटन दिवस पर विविध कार्यक्रम आयोजित हुए। पर्यटन व सामान्य ज्ञान विषय पर पोस्टर व प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता हुई। मोहम्मद याकिब ने प्रथम मोहम्मद अरशद को द्वितीय व संदीप को तृतीय स्थान प्राप्त किया। कार्यक्रम का आयोजन प्राचीन इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग की ओर से किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 28 Sep 2021 12:30 AM (IST) Updated:Tue, 28 Sep 2021 12:30 AM (IST)
पर्यटन दिवस पर हुई प्रतियोगिता, छात्रों ने जाना इतिहास
पर्यटन दिवस पर हुई प्रतियोगिता, छात्रों ने जाना इतिहास

सिद्धार्थनगर : सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में विश्व पर्यटन दिवस पर विविध कार्यक्रम आयोजित हुए। पर्यटन व सामान्य ज्ञान विषय पर पोस्टर व प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता हुई। मोहम्मद याकिब ने प्रथम, मोहम्मद अरशद को द्वितीय व संदीप को तृतीय स्थान प्राप्त किया। कार्यक्रम का आयोजन प्राचीन इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग की ओर से किया गया।

कार्यक्रम संयोजक डा. नीता यादव ने कहा छात्रों को ऐतिहासिक धरोहर के संबंध में जानकारी होनी चाहिए। विश्व के आठ अजूबा में भारत की भी भागेदारी है। देश का इतिहास काफी समृद्ध है। प्राचीन सभ्यता के प्रमाण यहां मिले हैं। कपिलवस्तु स्तूप भी धरोहर की श्रेणी में है। यहां शाक्य, कुषाण व शुंग वंश से जुड़ा इतिहास मिला है। प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में अंकिता व शिवानी को सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया। निर्णायक मंडल में डा. सत्येंद्र दुबे, डा. सच्चिदानंद चौबे, डा. अखिलेश दीक्षित व डा. सुनीता त्रिपाठी रहे। संचालन डा. शरदेंदु त्रिपाठी ने किया। डा. प्रदीप पांडेय, डा. मयंक कुशवाहा, डा. सरिता सिंह, डा. जयसिंह यादव, डा. आभा द्विवेदी, डा. कपिल गुप्ता, डा. अविनाश प्रताप सिंह आदि मौजूद रहे। छात्रों ने देखा संग्रहालय

परिषदीय विद्यालय व गौतम बुद्ध बाल विद्या मंदिर अलीगढ़वा के छात्रों ने रविवार को पर्यटन दिवस पर संग्रहालय का भ्रमण किया। यहां प्रदर्शित कलाकृतियों एवं छायाचित्र का अवलोकन किया। बौद्ध देवी मारची, बोधिसत्व सिंहनाद, अवलोकतेशर आदि मध्यकालीन कलाकृतियां के संबंध में जानकारी प्राप्त की। कुषाण तथा गंधार कालीन मूर्तियों के साथ बौद्ध कला में थनका और प्रस्तर प्रतिमाओं के इतिहास को जाना। छात्रों को वीथिका राजकीय बौद्ध संग्रहालय पिपरहवा के अधिकारी रामानंद प्रजापति ने इतिहास बताया।

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