हुए कई जतन फिर भी बोझ तले दब रहा बचपन
बाल मजदूरी को रोकने व उनके भविष्य को संवारने के लिए तमाम नियम कानून बनाने की ओर सरकार प्रयासरत है पर इसका सार्थक असर नहीं दिखाई पड़ रहा। शनिवार को विश्व बालश्रम निषेध दिवस पर भी बोझा लेकर चलता बचपन नगर में दिखाई दिया।
सिद्धार्थनगर : बाल मजदूरी को रोकने व उनके भविष्य को संवारने के लिए तमाम नियम कानून बनाने की ओर सरकार प्रयासरत है पर इसका सार्थक असर नहीं दिखाई पड़ रहा। शनिवार को विश्व बालश्रम निषेध दिवस पर भी बोझा लेकर चलता बचपन नगर में दिखाई दिया।
चाय की दुकानों में कप, गिलास व अन्य कार्य को करते 10 से 12 वर्ष के बच्चों को आज के दिवस का भान तक नहीं है। हां उन्हें बस यह मालूम है कि हमें बीमार मां व छोटे भाई बहनों के लिए खाने का इंतजाम करना है। दुकानों पर किराने का भारी भरकम सामान व 20 से 40 किलो वजन का कोल्ड ड्रिक्स की बोतल वजन उठाने में इनकी नन्हीं जान भी कांप जाती है । इन्हें अपनी थकान का कोई मलाल नहीं। दुकानों पर पानी का बोतल पहुंचाने वाले 13 वर्षीय अकबर नगर वार्ड निवासी राजेश का कहना था काम नहीं करेंगे तो शाम को मालिक हमें दिहाड़ी का दो सौ रुपये नहीं देगा। इससे से हमारे घर शाम का खाना बनेगा। इस उम्र में उन्हें घर चलाने की फिक्र है। नगर के रोडवेज चौराहा, नई तहसील गेट के सामने, पुरानी तहसील व पेट्रोलपंप स्थित चाय पान की दुकानों पर हाड़ तोड़ मेहनत करता बचपन हर अधिकारी को दिखता है। पर लोग ऐसा यह किस मजबूरी में कर रहे यह पूछने तक कि जहमत नहीं उठाते। सत्यता यह है कि कुछ परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण खेलने व पढ़ने की उम्र को बोझ तले कुर्बान कर रहे तो कुछ मां की दवा व छोटे भाई व बहन को दो जून की रोटी के इंतजाम के लिए खुद को बोझ तले दबा रहे। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट जग प्रवेश ने कहा कि किसी भी दुकानदार व व्यापारी को बच्चों से काम नहीं लेना चाहिए। यदि वह ऐसा करते पाए जाते हैं तो उन पर कार्रवाई होती है। वैसे समय समय पर बालश्रम विभाग छापेमारी कर बच्चों को मुक्त भी कराता है।