सरसों की फसल में लगने लगा चेपा रोग
ठंड का प्रकोप अब बढ़ने लगा है। सुबह पाला पड़ने से ठिठुरन बढ़ गई है। इससे सब्जियों की फसल में नुकसान की आशंका पैदा हो रही है। सरसों में तो पहले कोहरे और अब पाले से चेपा रोग भी लगने लगा है। इससे किसान चिता में डूब गए हैं।
सिद्धार्थनगर : ठंड का प्रकोप अब बढ़ने लगा है। सुबह पाला पड़ने से ठिठुरन बढ़ गई है। इससे सब्जियों की फसल में नुकसान की आशंका पैदा हो रही है। सरसों में तो पहले कोहरे और अब पाले से चेपा रोग भी लगने लगा है। इससे किसान चिता में डूब गए हैं।
क्षेत्र में इस समय खेतों में आलू, टमाटर, बैंगन, आदि की फसलें है। बढ़ते कोहरे के बीच पाला पड़ने से नुकसान की आशंका बनी हुई है। इसके साथ ही काफी किसान नए सिरे से टमाटर की पौध लगाने में व्यस्त हैं, लेकिन पाला को देखकर उनके हौसले पस्त हो रहे है। सुबह किसान खेतों में पहुंचते है, तो फसलों के पत्ते हरे के बजाय सफेद मिलते हैं। इससे सब्जियों की फसलों में काफी नुकसान की आशंका पैदा हो गई है। हालांकि ज्यों-ज्यों घड़ी की सुइयां आगे बढ़ती है त्यों-त्यों सूर्य की गुनगुनी धूप से पाला पानी बनकर बह जाता है, लेकिन सुबह के समय फसलों पर इसका जमाव होने से नुकसान की आशंका प्रबल हो रही है। ऐसे में किसान चितित है कि क्या करें और क्या न करें। कृषि विज्ञानी डा. मार्कण्डेय सिंह का कहना है कि उन्होंने कई गांवों का मुआयना किया है। अभी पाला से नुकसान नहीं है लेकिन यह जारी रहता है तो फिर प्रकृति के प्रकोप से बचना भी मुश्किल है। उन्होंने बताया कि जो किसान अभी टमाटर की पौध खेतों में लगा रहे है, उन्हें इसके तुरंत बाद हल्की सिचाई कर देनी चाहिए। जो दूसरी फसलें खेतों में खड़ी है उनमें भी हल्की सिचाई के बाद पाला का प्रभाव कम हो जाएगा। पांच सौ बीघे कृषि भूमि पर जलजमाव से दिक्कत सिद्धार्थनगर : तहसील क्षेत्र के आधा दर्जन गांवों के किसानों के लिए रबी की फसल सपना हो गई है। धान की कटाई के उपरांत खेतों में अधिक नमी के कारण किसानों के अरमानों पर दिसम्बर की हल्की धूप ने पानी फेर दिया है। जिससे करीब 500 बीघे की बोआई ही नहीं हो पाई है। जबकि किसानों ने बैंकों से ऋण भी ले रखा है।
तहसील क्षेत्र के कठौतिया गोकुल, पेड़रा, पड़िया, चैनिया, गनवरिया बुजुर्ग आदि गांवों में खेत का बड़ा भूभाग निचला है। जहां हल्की बारिश से जलजमाव हो जाती है। धान की कटाई के समय खेतों में नमी थी जिसके चलते हाथ से कटाई करनी पड़ी। किसानों को लगा धान कटने के बाद खेतों की नमी सूख जाएगी। परन्तु दिसम्बर में भी किसानों के खेत मैरुण्ड की स्थिति में है। कुछ किसानों ने फसलों की बोआई के लिए केसीसी से लोन भी ले रखा था। अब इनके समझ में नहीं आ रहा कि करें क्या। हालांकि कुछ किसानों ने बोआई भी कर दी है,जिससे दोहरा नुकसान उठाना पड़ सकता है। नृपराज, नूरे, तीर्थ प्रसाद, विश्वनाथ यादव ,रामधन, मंगरु प्रसाद, जगदीश कुमार, आदि किसानों ने बताया कि किसी तरह से बोआई तो कर दी परन्तु अब लागत पानी में डूबती नजर आ रही है। जिला कृषि अधिकारी सीपी सिंह ने बताया कि जिन किसानों ने फसल बीमा कराया है उन्हें ऐसी दशा में लाभ दिया जाएगा। भूमि उच्चीकरण के इच्छुक किसान आवेदन कर सकते हैं।