लाखों की लागत से बनी चकनालियां, नहीं मिल रहा लाभ

किसानों को सस्ती सिचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा लाखों रुपए खर्च कर क्षेत्र में छोटी बड़ी आधा दर्जन नहरों से खेतों तक पानी पहुंचाने हेतु कची पक्की नालियों का निर्माण कराया गया। बावजूद इसके किसानों को लाभ मिलता नहीं दिख रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 07 Dec 2021 10:06 PM (IST) Updated:Tue, 07 Dec 2021 10:06 PM (IST)
लाखों की लागत से बनी चकनालियां, नहीं मिल रहा लाभ
लाखों की लागत से बनी चकनालियां, नहीं मिल रहा लाभ

सिद्धार्थनगर : किसानों को सस्ती सिचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा लाखों रुपए खर्च कर क्षेत्र में छोटी बड़ी आधा दर्जन नहरों से खेतों तक पानी पहुंचाने हेतु कच्ची पक्की नालियों का निर्माण कराया गया। बावजूद इसके किसानों को लाभ मिलता नहीं दिख रहा है। क्योंकि चकनालियां जहां-तहां ध्वस्त हैं। क्षेत्र में रमावापुर जगतराम से निकल कर बरगदवा, चिताही, भीटा नानकार, गनवरिया, सरोथर, महनुआ, सिरसिया होते हुए करही तक जब नहर का पानी पहुंचाने के लिए नालियों का निर्माण शुरू हुआ तो लोग ़खुशी से झूम उठे। उन्हें लगा की अब उन्हें सस्ती सिचाई का लाभ मिलेगा। पर उनका सपना धरा का धरा रह गया कारण अपूर्ण व टूटी नालियां बनी। जिनके कारण नहरों से दूर स्थित खेतों की सिचाई मुश्किल हो गई। उन्हें इंजन का सहारा लेना पड़ रहा है। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि योजना कितनी सफल साबित हो रही है। अवर अभियंता सरयू नहर खंड ऋषि कुमार ने कहा की टूटी चकनालियों के मरम्मत का प्राक्कलन भेजा गया है। स्वीकृति मिलते ही काम शुरू करा दिया जाएगा। दुर्घटना का संकेत दे रहे सड़क किनारे के सूखे पेड़

सिद्धार्थनगर : बांसी तहसील क्षेत्र में डुमरियागंज मार्ग के किनारे लगे सूखे वृक्षों से कभी भी दुर्घटना घट सकती है। इस मार्ग से गुजरने वाले राहगीर हमेशा सशंकित रहते हैं कि कब और कहां कोई सूखी डाल टूट कर उनके ऊपर गिर जाए।डुमरियागंज मार्ग पर मिठवल, परसिया, बहेरवा, बैदौली, प्रतापपुर आदि ग्रामीण चौराहा स्थित हैं। यहां अक्सर लोग आते-जाते रहते हैं। हल्की हवा के झोंके से आए दिन इन वृक्षों से डाल टूट कर सड़क पर गिरती रहती है। कई लोग इसकी चपेट में आने से चोटिल भी हो चुके हैं। क्षेत्र निवासी श्याम पाठक, प्रेमशंकर त्रिपाठी, ब्रजभूषण धर द्विवेदी, रामप्रताप गिरी, त्रियुगी नाथ त्रिपाठी, राजेंद्र चौरसिया, दीनानाथ, लालबिहारी चौरसिया, श्रीनाथ तिवारी आदि ने प्रशासन व वन विभाग से इस समस्या की ओर ध्यान देने की मांग की है।

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