जर्जर प्रसव केंद्रों से खतरे में जननी सुरक्षा
सरकार ने ग्रामीण महिलाओं के प्रसव हेतु प्रत्येक न्याय पंचायत में प्रसव केंद्र तो स्थापित किया पर जिम्मेदारों की अनदेखी से वह खुद इलाज की राह देख रहे। देखरेख के अभाव में खेसरहा ब्लाक के कई केंद्र जहां लावारिश पडे़ हैं तो कुछ पर जर्जर हो झाड़ियों की गिरफ्त में पहुंच गए हैं।
सिद्धार्थनगर : सरकार ने ग्रामीण महिलाओं के प्रसव हेतु प्रत्येक न्याय पंचायत में प्रसव केंद्र तो स्थापित किया पर जिम्मेदारों की अनदेखी से वह खुद इलाज की राह देख रहे। देखरेख के अभाव में खेसरहा ब्लाक के कई केंद्र जहां लावारिश पडे़ हैं तो कुछ पर जर्जर हो झाड़ियों की गिरफ्त में पहुंच गए हैं। बारिश के समय इनके ढहने का खतरा भी बना रहता है। बुधवार को जर्जर भवन व अव्यवस्था के कारण गर्भवती खेसरहा व बांसी तक का चक्कर लगाती रहीं।
प्रसव केंद्र विशुनपुर : खेसरहा विकास क्षेत्र के विशुनपुर में दो दशक पूर्व बना प्रसव केंद्र वर्तमान में झाडि़यों के गिरफ्त में है। इसमें लगे खिड़की, दरवाजे का पता नहीं है। टीकाकरण अथवा स्वास्थ्य संबंधी जानकारी गांव के प्राथमिक विद्यालय व किसी के घर बैठ कर दी जाती है।
प्रसव केंद्र बनके गांव : ग्राम पंचायत बनके गांव में दो दशक पूर्व चार लाख की लागत से बना केंद्र खंडहर हो चुका है। महिलाओं के स्वास्थ्य सेवा देने के उद्देश्य से बगल में एक हेल्थ एंड वेलनेश सेंटर तो बना पर ताला लगा है। टीकाकरण आदि स्कूल व आंगनबाड़ी के घर होता है।
प्रसव केंद्र महुआ : वर्ष 2009-10 में बना यह केंद्र ताले की जकड़ में रहते हुए जर्जर हो चुका है। भवन आज तक विभाग को हैंडओवर नहीं हुआ। चहुंओर खर पतवार ने कब्जा जमा लिया है और भवन की आज तक रंगाई पुताई न होने से काई से पटा है। प्रसव पीड़िता को लेकर तीमारदार ब्लाक व बांसी तहसील मुख्यालय पर भटकते हैं।
सीएचसी अधीक्षक डा. एमएम मिश्रा ने कहा कि खेसरहा सीएचसी अन्तर्गत जो प्रसव केंद्र जर्जर हैं, उनकी सूची बना कर उच्च अधिकारियों को दी गई है। जल्द ही नवीन केंद्र बनाने का आश्वासन मिला है। कोविड टीकाकरण के कारण एएनएम स्कूल पर टीकाकरण करा रही हैं। इस लिए कुछ केंद्र बंद रहते है।