आंकड़ों की बाजीगरी में आंगनबाड़ी केंद्रों की बल्ले-बल्ले

ब्रजेश पांडेय, सिद्धार्थनगर :बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग का हाल मत पूछिए। जिले में आंगनबाड़ी क

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Nov 2018 11:09 PM (IST) Updated:Tue, 20 Nov 2018 11:09 PM (IST)
आंकड़ों की बाजीगरी में आंगनबाड़ी केंद्रों की बल्ले-बल्ले
आंकड़ों की बाजीगरी में आंगनबाड़ी केंद्रों की बल्ले-बल्ले

ब्रजेश पांडेय, सिद्धार्थनगर :बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग का हाल मत पूछिए। जिले में आंगनबाड़ी के कुल 3112 केंद्रों की बल्ले-बल्ले है। इनमें से कुछ कागजी हैं तो कुछ बदहाल। इन्हें संचालित करने के लिए जिन मुख्य सेविकाओं की तैनाती हैं उनमें भी अधिकांश बैठकर वेतन उठा रही हैं। कुछ जो स्थानांतरित होकर आई हैं, वह भी काम करने के लिए भटक रहीं हैं। आंगड़बाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं में तो अधिकांश सिर्फ फर्जी आंकड़ों की बाजीगरी में व्यस्त हैं। सब कुछ जानते हुए भी शासन-प्रशासन के जिम्मेदार मौन हैं। लेकिन कब तक?

बानगी देखिए, मंगलवार को बर्डपुर ब्लाक अंतर्गत अंबेडकर ग्राम सभा जमुहवा के अगयांकला का आंगनबाड़ी केंद्र बंद मिला। ग्रामीणों ने बताया कि केंद्र पर तैनात आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आती नहीं हैं। बच्चे कितने हैं नहीं पता। केंद्र की हालत ऐसे, जैसे पिछले एक वर्ष से वह खुला ही न हो। झाड़-झंखाड़ विभाग की बदहाली को बयां कर रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि बच्चों में कभी सामग्री भी नहीं वितरित की जाती है। यही हाल आंगनबाड़ी बनगाई केंद्र का रहा। इसका भी ताला नहीं खुलता है। केंद्र के ऊपर से बिजली के तार गुजरे हैं। इससे खतरा हमेशा बना रहता है। दूसरे लोग इसका प्रयोग करते हैं। ऐसा ही है मटवरिया दिगर का आंगनबाड़ी केंद्र। ग्रामीण बताते हैं कि जबसे बना यह केंद्र खुला ही नहीं। महादेव मिश्र की भी हालत यही है। यहां बकरी बंधी मिली। दरवाजे टूट चुके हैं। देख-रेख की अभाव में भवन जर्जर हालत में पहुंच चुका है।

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इन मुख्य सेविकाओं को परियोजनाओं का आवंटन नहीं

बाल विकास विभाग में सितंबर में 23 मुख्य सेविकाएं विभिन्न जिलों से स्थानांतरित होकर यहां आई हैं। सभी ने 29 सितंबर को अपनी ज्वाइ¨नग भी दे दी हैं। लेकिन अभी इन्हें परियोजनाएं एलाट नहीं हो सकी हैं। वह दफ्तर पहुंचती हैं और हाजिरी बनाकर वेतन उठा रही हैं। इन प्रमुख सेविकाओं में

ज्योति ¨सह, तारा पाण्डेय, रमावती वर्मा, शीला त्रिपाठी, प्रेमलता, रंभा मल्ल,प्रेमा यादव, सावित्री देवी, प्रेम प्रभा भट्ट, बाल सुधा, शायरा बानो, माया देवी, स्नेहलता, आशा देवी, ब्रह्म कुमारी, कुसुमलता चतुर्वेदी,तारामती वर्मा,सुभावती शर्मा, शकुंतला देवी, ¨सगारी देवी शामिल हैं। इनके पास कोई काम नहीं है।

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इन परियोजनाओं में खाली है जगह

डुमरियागंज परियोजना में छह, इटवा पांच, खुनियाव पांच, बढनी तीन, बर्डपुर पांच, मिठवल तीन, बांसी तीन, खेसरहा उस्का और नौगढ़ में दो-दो के अलावा शोहरतगढ़ में एक स्थान रिक्त चल रहा है।

...... 3 लाख 86 हजार 959 बच्चे पंजीकृत

विभागीय सूत्रों के अनुसार आंगनबाड़ी में 3 लाख 86 हजार 959 बच्चे पंजीकृत हैं। इमसें से सिर्फ 2 लाख 28 हजार 700 अभिभावक व बच्चे आधार से ¨लक हैं। शेष के लिए आधार से ¨लक करने का काम फिलहाल रोक दिया गया है। 1 लाख 58 हजार 259 बच्चे आधार से ¨लक नहीं हैं।

........... एक बच्चे पर खर्च होता है साढे़ चार रुपए आंगनबाड़ी बच्चों की खुराक पर 17 लाख 41 हजार 315 रुपये प्रतिमाह खर्च हो रहा है। एक बच्चे पर 4 रुपया 50 पैसे खर्च आता है। इससे से पचास पैसे ईधन पर। 3.75 पैसा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता तेल-मशाला और सब्जी पर खर्च करती हैं। 25 पैसा खाद्यान पर खर्च होता है। सहायक और रसोइया का मानदेय भी इसी में शामिल है।

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जिले में आंगनबाड़ी केद्रों की समय-समय पर जांच होती है। जहां भी गड़बड़ी मिलती है, उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जाती है। 23 मुख्य सहायिकाओं की नियुक्ति के लिए प्रस्ताव बनाकर सीडीओ को दिया गया है। शीध्र ही उनकी तैनाती हो जाएगी। जहां भी आंगनबाड़ी केंद्र बंद चल रहे हैं, उनके बारे में जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी।

राजीव कुमार ¨सह

जिला कार्यक्रम अधिकारी

बाल विकास विभाग

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