तालाब में तब्दील हुआ बांसी-धानी मार्ग, बढ़ी परेशानी

लोनिवि के अवर अभियंता डीपी पांडेय ने बताया कि मुआवजा न मिलने के कारण काश्तकार सड़क बनाने से रोक रहे हैं। इसलिए धीमी गति से कार्य चल रहा है। काश्तकारों का मुआवजा बंटने के बाद ही कार्य में तेजी आ सकती है। अब इस सड़क की क्षमता 55 टन रहेगी। इससे अधिक के भार वाहनों को प्रवेश वर्जित होगा।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 01:45 AM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 01:45 AM (IST)
तालाब में तब्दील हुआ बांसी-धानी मार्ग, बढ़ी परेशानी
तालाब में तब्दील हुआ बांसी-धानी मार्ग, बढ़ी परेशानी

सिद्धार्थनगर : जिले के प्रमुख मार्गों में शुमार बांसी-धानी मार्ग पूरी तरह गड्ढे में तब्दीली हो चुका है। वर्तमान में 50 टन अधिभार क्षमता के साथ मार्ग पर चौड़ीकरण का कार्य तो शुरु है पर जब तक यह पूर्ण होगा तब तक यात्रियों की कमर टूट जाएगी। बडे़ बडे़ गड्ढों में भरा बारिश का पानी सड़क है या तालाब लोगों को गफलत डाल दे रहा।

गोरखपुर व महाराजगंज जिलों को जोड़ने वाला यह प्रमुख मार्ग है। 23.5 किलोमीटर लंबे इस मार्ग का निर्माण प्रधानमंत्री सड़क योजना के अंतर्गत वर्ष 2009-10 में हुआ था। निर्माण के समय मानकों की जमकर अनदेखी की गई साथ क्षमता से अधिक इस मार्ग से भारी वाहनों का आवागमन भी होता रहा। नतीजतन आठ वर्ष पूर्व बना मार्ग बनने के दो वर्ष बाद से ही टूटने लगा था। गोहर, गोनहा, सिसहनियां, बिशुनपुर, सेमरा, सकारपार, कोटिया पांडे, छितौनी, कलनाखोर आदि चौराहे से होकर जाने वाले इस मार्ग पर हर कदम दो से तीन फिट तक गहरे गड्ढे बने हैं। दो पहिया वाहन चालक अक्सर इसमें गिरते हैं। वर्तमान में मार्ग का चौड़ीकरण किया जा रहा है। इस कारण स्थिति और भी खराब हो गई है। बडे़ वाहन गड्ढों में अक्सर फंस रहे हैं। बावजूद कार्य में तेजी नही लाई जा रही है।

लोनिवि के अवर अभियंता डीपी पांडेय ने बताया कि मुआवजा न मिलने के कारण काश्तकार सड़क बनाने से रोक रहे हैं। इसलिए धीमी गति से कार्य चल रहा है। काश्तकारों का मुआवजा बंटने के बाद ही कार्य में तेजी आ सकती है। अब इस सड़क की क्षमता 55 टन रहेगी। इससे अधिक के भार वाहनों को प्रवेश वर्जित होगा। तीन करोड़ की लागत से बनी थी सड़क

यह मार्ग प्रधानमंत्री योजना के तहत तीन करोड़ की लागत से बनी थी। 10 किलोमीटर सड़क का निर्माण ठेकेदार केशभान राय ने तथा पांच करोड़ 25 लाख रुपये की लागत से 13.5 किलो मीटर तक का निर्माण अशोक राय ने कराया था। एमबी तत्कालीन जेई एके तिवारी तथा कुंवर विजय प्रताप सिंह ने किया था। निर्माण के समय तत्कालीन अधिशाषी अभियंता कुद्दूस अंसारी थे। इसके निर्माण के समय की अधिभार क्षमता लगभग 25 टन थी।

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