बस्ती से जुड़े एंटीजन किट हेराफेरी के तार
बिहार ही नहीं बस्ती से भी एंटीजन किट हेराफेरी के तार जुड़े हैं। बस्ती के एक दवा माफिया ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उसका बाजार से मात्र 33 हजार में 875 किट मंगवाए थे। जबकि बाजार मूल्य इसके सात लाख हैं। यह व्यक्ति निजी अस्पतालों को भी किट सप्लाई करता है। पुलिस टीम इसे पकड़ने की कोशिश में लगी है।
सिद्धार्थनगर: बिहार ही नहीं बस्ती से भी एंटीजन किट हेराफेरी के तार जुड़े हैं। बस्ती के एक दवा माफिया ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उसका बाजार से मात्र 33 हजार में 875 किट मंगवाए थे। जबकि बाजार मूल्य इसके सात लाख हैं। यह व्यक्ति निजी अस्पतालों को भी किट सप्लाई करता है। पुलिस टीम इसे पकड़ने की कोशिश में लगी है। इसके पकड़े जाने पर मामले का पर्दाफाश होने की संभावना जताई जा रही है।
25 एंटीजन किट के एक पैकेट का दाम 28750 है। निजी चिकित्सकों के यहां 30 से 40 फीसद प्रिट से कम कीमत पर इसकी सप्लाई होती है। जुगाड़ के दम पर सरकारी किट भी प्राइवेट अस्पतालों तक पहुंच रहा है। सूत्रों के अनुसार बस्ती और सिद्धार्थनगर में एक ऐसा रैकेट काम कर रहा है, जो यहां से सरकारी दवाओं की खेप निजी डाक्टरों के यहां सप्लाई करता है। इस काम में बस्ती के एक दवा माफिया का नाम सामने आ रहा है। पिछले दिनों एसओजी टीम और पुलिस के सामने पकड़े गए एक स्वास्थ्यकर्मी ने कबूला है कि उन्होंने बस्ती के एक प्राइवेट डाइग्नोसिस सेंटर को 33 पैकेट में 875 किट 10 दिन पहले मुहैया कराई गई थी। फर्स्ट फ्लाइट कोरियर से इसी सामुदायिक केंद्र से एक हजार किट बिहार के पटेल नगर के एक अन्य दवा माफिया को भेजे गए थे। जिसके बदले में एक स्वास्थ्यकर्मी के बांसी स्थित एसबीआइ के खाते में दस हजार रुपये आनलाइन भुगतान किए गए। वहां भी यह माफिया इस तरह से एंटीजन किट मंगवाकर प्राइवेट अस्पतालों को सप्लाई करता है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तिलौली-मिठवल से दो हजार एंटीजन किट बीते मंगलवार को पकड़े गए थे। इसकी कीमत बाजार में 23 लाख थी। सिद्धार्थनगर का मुख्य सरगना संविदा पर कार्यरत रहा शिव शंकर चौधरी बताया जा रहा है। पुलिस ने इसके साथ मुख्तार अली, विनोद कुमार त्रिपाठी और ओमकार त्रिपाठी को कार से गिरफ्तार किया था। स्वास्थ्य विभाग से जुड़े सूत्रों के अनुसार कमोवेश हर स्वास्थ्य केंद्र में इस तरह की गड़बड़ी की गई है। इस गड़बड़झाला के पीछे जो सच्चाई सामने आई है, उसमें आपदा को अवसर में बदलने का काम किया गया है। दरअसल पहले लोग जांच नहीं करा रहे थे और शासन से जांच कराने का लक्ष्य अधिक निर्धारित था। जिसका स्वास्थ्यकर्मियों ने भरपूर फायदा उठाया। लक्ष्य पूरा करने के चक्कर में किट इधर-उधर किए गए और निजी अस्पतालों को यह फायदा पहुंचा। इस तरह की संभावना अन्य जनपदों में भी हो सकती है। यदि जमीनी स्तर पर इसकी सही जांच हो तो नतीजा कुछ और ही होगा। एसपी राम अभिलाष त्रिपाठी ने कहा कि यह मामला सीधे स्वास्थ्य विभाग से जुड़ा है। पुलिस अपना काम कर रही है। बस्ती के एक व्यक्ति का संपर्क पकड़े गए व्यक्तियों से बताया जा रहा है, लेकिन यह विवेचना का हिस्सा है। जो भी इस खेल में शामिल होगा, वह भी पुलिस के गिरफ्त में होगा। सीएमओ डा. संदीप चौधरी ने कहाकि इस प्रकरण में तीन सदस्यीय टीम का गठन किया जा चुका है। यह टीम जांच के बाद अपनी रिपोर्ट देगी। रिपोर्ट के बाद ही इस बात की जानकारी हो पाएगी कि किट कहां से और किस तरह गायब किए गए हैं। संबंधित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक भी जांच के दायरे में है। वह भी अपनी जवाबदेही से नहीं बच सकते। उन्हें भी टीम को पूरा सहयोग करना पड़ेगा।