डीजल के बाद खाद का दाम बढ़ने से टूटी किसानों की कमर
किसानों की उपज का मूल्य भले न बढ़े लेकिन पेट्रोलियम पदार्थों के बाद खाद का दाम बढ़ने से किसानों की कमर टूट गई है। रबी की बोआई के पहले राज्य विपणन प्रबंधक इफको ने एनपीके के दाम में 100 रुपये की एक साथ बढ़ोतरी कर उत्पादन लागत बढ़ा दिया है।
सिद्धार्थनगर : किसानों की उपज का मूल्य भले न बढ़े, लेकिन पेट्रोलियम पदार्थों के बाद खाद का दाम बढ़ने से किसानों की कमर टूट गई है। रबी की बोआई के पहले राज्य विपणन प्रबंधक इफको ने एनपीके के दाम में 100 रुपये की एक साथ बढ़ोतरी कर उत्पादन लागत बढ़ा दिया है। दाम बढ़ने से किसानों में आक्रोश व्याप्त है। किसानों ने आरोप लगाया है कि सरकार ने कहा था 2022 तक आय दूनी कर देंगे पर अब लागत दूनी होती जा रही है।
सहकारिता विभाग के आयुक्त ने आदेश कर जारी करते हुए कहा है बढ़े हुए दाम एक अक्टूबर से लागू होंगे। 50 किलो की एनपीके बोरी अब 1150 रुपये में मिलेगी। जो पिछले वर्ष से 100 रुपये अधिक होगी। फसलों की बोआई से पहले ही खाद बीज जिलों के साधन सहकारी समितियों, कृषि केंद्रों व बाजार में पहुंच जाती हैं। इनमें एनपीके का उपयोग पौधों के विकास व मजबूती के लिए किया जाता है। इसकी कमी होने पर पत्तियां पीली पड़ जाती हैं। जड़दार पौधों के लिए एनपीके खाद बहुत लाभकारी होती है। परंतु अब दाम में भारी भरकम वृद्धि से किसान परेशान हैं।
कुसहटा के सुनील कुमार ने कहा कि यह सरकार किसानों की हितैषी नहीं है। डीजल, पेट्रोल, रसोई गैस का दाम बढ़ाने के बाद सरकार ने खाद के दाम बढ़ा दिए, जो अनुचित है। किसानों की आय दूनी करने का आश्वासन भी खोखला ही है। सेखुई के शकील अहमद ने कहा कि किसानों की फसल सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने की गारंटी तो नहीं दे रहीं। वहीं हर साल उर्वरकों के दाम बढ़ाकर धोखा भी दे रही है। कमलेश ने कहा कि प्रदेश सरकार को फसलों को खरीदने की व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए। अब एकाएक एनपीके के दाम बढ़ाने से दिक्कत होगी, खेती लोगों का मोहभंग हो रहा है। लक्ष्मी निवास पांडेय ने कहा कि डीजल की महंगाई से पहले ही किसान काफी परेशान हैं, सिचाई में पसीने छूट रहे हैं, अब खाद के दाम में बढ़ोतरी निराशाजनक है। सरकार को तत्काल किसानों को राहत देनी चाहिए।