संक्रमण रोकने के लिए लगाए गए पैरामेडिकल स्टाफ
गांव में कोरोना न घुसने पाए इसके लिए प्रशासन मुकम्मल तैयारी कर चुका है। जांच- दवा के साथ टीकाकरण के लिए भी टीम गठित की गई है। एसडीएम ने डुमरियागंज के 21 चिकित्सकों सहित सभी पैरामेडिकल स्टाफ को मैदान में उतार दिया है। शनिवार बेवां सीएचसी में बैठक के दौरान व्यवस्था बनाई गई।
सिद्धार्थनगर : गांव में कोरोना न घुसने पाए इसके लिए प्रशासन मुकम्मल तैयारी कर चुका है। जांच- दवा के साथ टीकाकरण के लिए भी टीम गठित की गई है। एसडीएम ने डुमरियागंज के 21 चिकित्सकों सहित सभी पैरामेडिकल स्टाफ को मैदान में उतार दिया है। शनिवार बेवां सीएचसी में बैठक के दौरान व्यवस्था बनाई गई। एसडीएम ने कहा बिना अवकाश लिए कोई सेंटर नहीं छोड़ेगा। अनुपस्थित रहे सीएचओ मेराज अहमद और सावित्री से जवाब भी मांगा।
बैठक में बेवां सीएचसी के अंतर्गत चार टीम बनाई गई है। यह लोग गांव- गांव एंटीजन टेस्ट करेंगे और संक्रमित को आवश्यक दवा व परामर्श देंगे। एक टीम सीएचसी पर हर समय मौजूद रहेगी यह आपात स्थिति में कार्य करेगी तथा एक टीम टड़वा स्क्रीनिग सेंटर पर प्रवासियों के जांच को लगेगी। 16 स्थानों पर चल रहे वैक्सीनेशन के अलावा अब तीन ऐसी टीमें भी बनाई गई जो गांव में किसी एक स्थान पर सभी पात्रों का टीकाकरण करेंगी। गांव में टीकाकरण कहां होगा इसकी सूचना एक दिन पहले सीएचसी अधीक्षक गांव में बनी निगरानी समिति को देंगे, साथ ही टीम को सुरक्षा गाइडलाइन की पूरी जानकारी देंगे। सीएचसी में डाटा फीडिग के लिए भी तीन कर्मचारी लगाए गए। सीएचसी की 42 एएनएम व 286 आशाओं को पहले की तरह गांव- गांव सर्वे कार्य जारी रखने के निर्देश दिए गए।
सतर्कता से मिली कोरोना पर विजय सिद्धार्थनगर: कोरोना संक्रमण से घबराने की जरूरत नहीं है। अपने अंदर डर न बैठने दें। सतर्कता और पारिवारिक समर्पण के चलते मैंने और मेरा परिवार कोरोना को हराया है। परिवार में एक दूसरे का लोगों ने सहयोग किया और हौसला बढ़ाया। अब परिवार पूरी तरह से स्वस्थ्य हैं।
भाजपा जिलाध्यक्ष गोविद माधव कहा कि मैं पाजिटिव था और पूरा परिवार संक्रमण के दौर से गुजरा। कोरोना से बचने के हर उपाय किए गए। नियमित मास्क और सैनिटाइजर की पूरी व्यवस्था रही। कहा कि मैंने महसूस किया है कि कोरोना में वही परिवार जंग जीत सकता है, जो संयुक्त होगा। कोरोना से मेरी पत्नी की हालत खराब होती गई। डा. गोविद चौधरी जो पारिवारिक डाक्टर हैं, उनका अपार सहयोग रहा। लखनऊ में मेदांता अस्पताल में ले जाने की सोच रहे थे, लेकिन घर ही पर रहे और पूरा परिवार सहयोग किया। बडे भाई के परिवार का भी पूरा सहयोग मिला। मेरी पत्नी, बेटा-बेटी बुखार-खांसी से ग्रसित थे। खाने का स्वाद नहीं मिला। पत्नी का आक्सीजन लेबल 65 तक पहुंच गया था। पत्नी के लिए घर में ही सिलिंडर की व्यवस्था हुई। घर में सभी नींबू के साथ गर्म लेते रहे। सुबह-शाम भाप और प्रणायाम से बहुत लाभ मिला।