साप्ताहिक लॉकडाउन में गांव से शहर तक पसरा सन्नाटा
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर को फैलने से रोकने की कोशिश आवश्यक सेवाओं के लिए भी मास्क पहनकर घर से बाहर निकले लोग
श्रावस्ती : वैश्विक महामारी कोरोना की दूसरी लहर के विरुद्ध छिड़ी जंग को जीतने के लिए घोषित साप्ताहिक लॉकडाउन के तहत रविवार को गांव से लेकर शहर तक सन्नाटा पसरा रहा। हर किसी ने घर में रहकर लॉकडाउन का पालन करते हुए महामारी के खिलाफ जंग में अपनी भागीदारी दी। चौक-चौराहों पर चाय-पानी की दुकानें भी बंद रहीं। लोग घर के दरवाजे बंद कर भीतर परिवार के साथ मौजूद रहे।
शनिवार की शाम सात बजे के बाद से ही प्रशासनिक अमला लॉकडाउन का पालन कराने के लिए सक्रिय हो गया। एएसपी बीसी दूबे, एसडीएम प्रवेंद्र कुमार, तहसीलदार राजकुमार पांडेय पुलिस टीम के साथ भिनगा नगर में पैदल मार्च करते नजर आए। यह ²श्य इकौना व जमुनहा का भी रहा। शहर की अधिकांश दुकानें बंद थी। बचे-खुचे लोग धीरे-धीरे कर अपने घर की ओर लौट रहे थे। सुबह सड़क पर वाहनों का शोर पूरी तरह खामोश रहा। पेट्रोल पंप पर भी सन्नाटा पसरा रहा। पुलिस व प्रशासन की टीम के साथ स्वास्थ्यकर्मी भ्रमणशील रहे। बाहर से आने वाले लोगों की जांच होती रही। नेपाल सीमा रही सील
लॉकडाउन के चलते नेपाल सीमा पूरी तरह सील रही। पुलिस व एसएसबी जवान खुली सीमा पर लगातार निगहबानी करते रहे। सुइया चौकी पर एसएसबी व पुलिस जवानों के साथ स्वास्थ्य टीम मुस्तैद रही। नेपाल से सटे गांवों से जंगल से होकर निकलने वाले रास्तों पर भी निगरानी होती रही। चौक-चौराहों पर डटी रही पुलिस
पड़ोसी राष्ट्र नेपाल समेत पड़ोसी जिला बहराइच व बलरामपुर को जोड़ने वाले विभिन्न रास्तों पर पुलिस विभाग की ओर से चेक प्वाइंट बनाए गए थे। यहां पूरे दिन पुलिस के जवान मुस्तैद रहे। इस टीम में स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी भी शामिल रहे। हर आने-जाने वाले को रोक कर घर से बाहर निकलने का कारण पूछा गया। मास्क अनिवार्य रूप से पहनने की अपील की गई। इमरजेंसी में बढ़ाए गए चिकित्सक व फार्मासिस्ट
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए अस्पताल की ओपीडी बंद की गई है, लेकिन बीमार लोगों को इलाज में कठिनाई न हो, इसके लिए इमरजेंसी में चिकित्सक व फार्मासिस्ट की संख्या दोगुनी कर दी गई है। सीएमएस डॉ. जेता सिंह ने बताया कि ड्यूटी पर मौजूद चिकित्सक के अलावा ऑन कॉल सभी डॉक्टरों को उपस्थित रहने को कहा गया है। आदिवासी गांवों में भी रहा सन्नाटा
लॉकडाउन के बीच सीमा से सटे आदिवासी थारू बाहुल्य गांवों में भी सन्नाटा पसरा रहा। जंगल के बीच स्थित इन गांवों के लोगों ने एकजुटता दिखाते हुए अपनी सहभागिता दी।