टॉवर तैयार, अब नेटवर्क का इंजतार

संचार सेवाओं से कटी है आदिवासी थारू समाज की हजारो की अबादी

By JagranEdited By: Publish:Thu, 22 Oct 2020 11:07 PM (IST) Updated:Fri, 23 Oct 2020 05:03 AM (IST)
टॉवर तैयार, अब नेटवर्क का इंजतार
टॉवर तैयार, अब नेटवर्क का इंजतार

संसू, श्रावस्ती : सिरसिया ब्लॉक के आदिवासी थारू बाहुल्य गांवों में संचार सेवाओं को लेकर दुश्वारियां कम नहीं हो रही हैं। भचकाही गांव में टॉवर लगने का काम पूरा हो चुका है, लेकिन अभी तक इसका संचालन नहीं हो पाया है। हजारों की आबादी अभी भी नेटवर्क का इंतजार कर रही है।

नेपाल सीमा से सटे ग्राम पंचायत भचकाही, रावलपुर बनकटी, धनुहा समेत लगभग एक दर्जन आदिवासी गांव में थारू समाज के लोग निवास करते हैं। इनमें से अधिकांश गांव संचार सेवाओं से पूरी तरह कटे हैं। यहां मोबाइल फोन खिलौना बने रहते हैं। फोन पर बात करने के लिए लोगों को छत पर खड़े होकर नेटवर्क खोजना पड़ता है। इंटरनेट की सुविधा के लिए गांव से 10 किमी दूर जाना पड़ता है। इससे व्यथित थारू समाज के लोगों ने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में टॉवर नहीं तो वोट नहीं का नारा देते हुए गांव में वॉलपेंटिग की थी। मतदान का बहिष्कार भी हुआ था। यहां के लोग संचार सेवाओं के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं। आखिरकार आदिवासी गांवों के लोगों की मांग पूरी हुई। ग्राम पंचायत भचकाही के बनकटी में लभगभ 300 फीट ऊंचा टॉवर बना दिया गया है। सितंबर माह तक इस टॉवर से सेवाएं शुरू होने की उम्मीद थी, लेकिन अभी तक लोग आस लगाए बैठे हैं। इनसेट- उत्साहित हैं गांव के लोग भचकाही गांव निवासी आशीष थारू कहते हैं कि इंटरनेट की सुविधा न होने से हम सब देश दुनिया की सूचनाओं से कटे हैं। सोनम राना कहती हैं कि टॉवर पूरा हो चुका है, लेकिन इसका संचालन नहीं हो रहा है। हम सब उम्मीद लगाए बैठे थे, लेकिन यह आस कब पूरी होगी कुछ पता नहीं है। सोनम राना कहती हैं मोबाइल फोन में नेटवर्क आए तो ऑनलाइन पढ़ाई भी हो सकती है। बूंदीराम कहते हैं कि कोरोना संक्रमण के चलते बच्चों के स्कूल बंद हैं। ई-पाठशाला चल नहीं रही है, लेकिन संचार सेवाओं से कटे होने से थारू समाज के बच्चों को इसका भी लाभ नहीं मिल पा रहा है। बच्चे घर में खाली बैठे हैं। पहले का पढ़ा- लिखा भी धीरे-धीरे भूले जा रहे हैं।

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