पूंजी के अभाव में पिछड़ रही रबी की बोआई, परेशान किसान

श्रावस्ती: कार्तिक माह में 13 दिन तथा आषाढ़ माह में खेती-किसानी में तीन दिन पिछड़ने पर उपज प्रभावित ह

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Nov 2018 11:15 PM (IST) Updated:Tue, 20 Nov 2018 11:15 PM (IST)
पूंजी के अभाव में पिछड़ रही रबी की बोआई, परेशान किसान
पूंजी के अभाव में पिछड़ रही रबी की बोआई, परेशान किसान

श्रावस्ती: कार्तिक माह में 13 दिन तथा आषाढ़ माह में खेती-किसानी में तीन दिन पिछड़ने पर उपज प्रभावित होती है। तराई के किसान इस सिद्धांत को गांठ बांध कर खेती करते हैं। सहकारी समिति के कर्मचारियों के हड़ताल पर रहने से धान की बिक्री समय से नहीं हो सकी। हड़ताल समाप्त होने के बाद भी धान खरीद को रफ्तार नहीं मिल पा रही है। इससे किसानों के हाथ खाली हैं और वे खाद-बीज के लिए परेशान हैं।

नवंबर माह की पहली तारीख से सरकारी क्रय केंद्रों पर धान खरीद शुरू होनी थी। इसी दौरान सहकारी समितियों के कर्मचारी हड़ताल पर चले गए। देखते ही देखते खाद्य विभाग के कर्मचारियों ने भी हड़ताल शुरू कर दी। इससे धान की बिक्री पूरी तरह ठप हो गई। वाजिब कीमत पाने के लिए किसान क्रय केंद्र खुलने का इंतजार करते रहे। हड़ताल समाप्त होने के बाद खरीद शुरू तो हुई, लेकिन अपने लय में नहीं आ सकी है। 19 नवंबर तक पीसीएफ के सिर्फ चार केंद्रों पर ही धान खरीद शुरू हुई थी। इसके अलावा खाद्य विभाग के पांच तथा भारतीय खाद्य निगम के एक क्रय केंद्र पर धान खरीद चल रही है। इस दौरान अब तक मात्र 239.300 मीट्रिक टन धान ही खरीदा जा सका है। बीते वर्ष 19 नवंबर तक 1710.40 मीट्रिक टन धान खरीद हो गई थी। मंगलवार तक भी पीसीएफ के 20 में से 11 क्रय केंद्रों पर ही धान खरीद शुरू हो पाई है। रबी की बोआई के लिए किसानों को खेतों में सिंचाई, जोताई व खाद-बीज का प्रबंध करना है। इसके लिए हर कदम पर पैसों की जरूरत है। हाथ खाली होने से किसान परेशान हैं। रबी की बोआई पिछड़ने से किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें गहराने लगी हैं। बोले, किसान

-हरिहरपुररानी ब्लॉक के पांडेयपुरवा गांव निवासी किसान अवधेश प्रताप मिश्र, उदईपुर के जय प्रकाश शुक्ल, पटना खरगौरा के ननकऊ प्रसाद वर्मा आदि ने बताया कि बाजार में उर्वरक व बीज महंगा मिल रहा है। क्रय केंद्र पर धान न बिकने से किसानों को अपनी जरूरत पूरा करने के लिए सस्ते दाम पर बिचौलियों के हाथ उपज बेचनी पड़ रही है। ऐसे में किसान हर ओर से ठगे जा रहे हैं।

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