बढ़ें चिकित्सक, उपलब्ध हों दवाएं तो बदलेंगे हालात

श्रावस्ती: नागरिकों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए जिले से लेकर ब्लॉक व ग्राम पंचायत स्तर

By JagranEdited By: Publish:Sat, 07 Apr 2018 11:16 PM (IST) Updated:Sat, 07 Apr 2018 11:16 PM (IST)
बढ़ें चिकित्सक, उपलब्ध हों दवाएं तो बदलेंगे हालात
बढ़ें चिकित्सक, उपलब्ध हों दवाएं तो बदलेंगे हालात

श्रावस्ती: नागरिकों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए जिले से लेकर ब्लॉक व ग्राम पंचायत स्तर तक केंद्र खोले गए हैं। इन केंद्रों पर सृजित पदों के सापेक्ष चिकित्सकों की तैनाती हो तथा महत्वपूर्ण जीवन रक्षक दवाएं उपलब्ध रहें तो स्वास्थ्य सेवाओं में काफी हद तक सुधार संभव है। मरीजों को समय से चिकित्सकीय परामर्श मिले तो बीमारी से होने वाली मौत का आंकड़ा कम किया जा सकता है।

सबको स्वस्थ रखने के लिए सरकार की ओर से पोलियो अभियान, टीकाकरण कार्यक्रम समेत कई गंभीर बीमारियों से बचाव के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं। मानव संसाधन के अभाव में ये योजनाएं जमीन पर प्रभावित नहीं हैं। अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी सबसे बड़ी समस्या है। पर्याप्त दवाएं उपलब्ध न रहने से भी लोगों को परेशानी उठानी पड़ती हैं। क्या चाहते हैं मरीज

स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी को लेकर संयुक्त जिला चिकित्सालय भिनगा में भर्ती मरीजों ने बेबाकी से अपनी बात रखी। गिलौला ब्लॉक के मनिकौरा निवासी छोटकन्ना ने बताया कि अस्पताल में डॉक्टर की कमी होने से इलाज के लिए लंबी कतार लगानी पड़ती है। भिनगा नगर के खेदूपुरवा गांव निवासी रामवृक्ष ने बताया कि अस्पताल में दवाएं न होने से चिकित्सकों द्वारा काम चलाऊ इलाज ही हो पाता है। गिलौला ब्लॉक के नेवरिया गांव निवासी कुंवारा कहती हैं कि आसानी से इलाज न मिल पाने से कई बार लोग बीमारी के प्राथमिक स्तर में अस्पताल नहीं आते हैं। बाद में स्थिति गंभीर रूप ले लेती है। बलरामपुर जिले के शिवपुर ब्लॉक के गंगापुर गांव निवासी अमिरका प्रसाद ने बताया कि संसाधनों के अभाव में लोगों का सरकारी अस्पताल पर भरोसा नहीं बन पाता है।

विशेषज्ञ की राय

श्रावस्ती जिले में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए लोगों की निर्भरता सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर ही है। स्थिति को बेहतर बनाने के लिए सरकारी केंद्रों को निश्चित तौर पर सुविधा संपन्न बनाना होगा। गांव के लोग सर्दी, बुखार व खासी नियमित रूप से रहने पर भी दवा दुकानों से दवा खरीद कर लंबे समय तक काम चलाते रहते हैं। खसरा व डायरिया जैसी बीमारी में भी लोग झाड़-फूंक के सहारे रहते हैं। उनमें जागरूकता के अभाव है। ग्राम पंचायत स्तर तक जब मजबूत टीम होगी तो बीमारियों का तत्काल इलाज संभव होगा और लोग संक्रमण से बच सकेंगे।

-अनिल कुमार, प्रतिनिधि यूनीसेफ

क्या कहते हैं सीएमएस

उपलब्ध संसाधनों में बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के प्रयास किए जाते हैं। कार्य की अधिकता होने से चिकित्सकों के मनोभाव पर भी प्रभाव पड़ता है। रिक्त पदों पर तैनाती होने से स्थिति में काफी हद तक सुधार होगा। उनका कहना है कि स्वास्थ्य के मामले में हम उन्नति कर सकें, इसके लिए समाज के जागरूक लोगों को भी परिवर्तन में मदद करने के लिए आगे आना चाहिए।

-डॉ. रतन कुमार, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक

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