भिनगा जंगल में आकर्षक जीव संसार, पर्यटकों को लुभाएगी उडऩ गिलहरी

विविध प्रकार के जीव-जंतुओं को संजोए श्रावस्ती के भिनगा जंगल की उडऩ गिलहरी यहां आने वाले पर्यटकों को लुभाएगी। यह रात्रिचर जीव है।

By Nawal MishraEdited By: Publish:Sat, 22 Sep 2018 05:37 PM (IST) Updated:Sat, 22 Sep 2018 07:44 PM (IST)
भिनगा जंगल में आकर्षक जीव संसार, पर्यटकों को लुभाएगी उडऩ गिलहरी
भिनगा जंगल में आकर्षक जीव संसार, पर्यटकों को लुभाएगी उडऩ गिलहरी

श्रावस्ती (जेएनएन)। विविध प्रकार के जीव-जंतुओं को संजोए भिनगा जंगल की उडऩ गिलहरी यहां आने वाले पर्यटकों को लुभाएगी। पेड़ों के खोह में रहने वाली यह रात्रिचर जीव दिखने में खूबसूरत होने के साथ अपनी गतिविधियों से सहज ही लोगों को आकर्षित करती है। ईको टूरिज्म प्लान से भिनगा जंगल को जोडऩे का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिलने के बाद यहां पर्यटकों की आमद शुरू हुई तो उडऩ गिलहरी देख कर लोगों की आंखें खुली की खुली रह जाएंगी।

 

भिनगा में जीव-जंतुओं का अद्भुत संसार 

औषधीय पौधों व वेशकीमती पेड़ों से धनी भिनगा जंगल मेें आकर्षक जीव-जंतुओं का अद्भुत संसार है। इन सबके बीच यहां पाई जाने वाले उडऩ गिलहरी को वन विभाग के अधिकारी सबसे आकर्षक जीव मानते हैं। जंगल में तेंदू, गूलर व जामुन के पेड़ों की भी अधिकता है। यह फल उडऩ गिलहरी का मुख्य भोजन है। यही कारण है कि यहां उनका कुनबा बढ़ रहा है। भिनगा जंगल से ककरदरी जंगल तक नाले के किनारे-किनारे इनकी संख्या सबसे अधिक है। रात में एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर जब ग्लाइड करती हुई गिलहरी पहुंचती है तो ऐसा लगता है कि जैसे एक आकर्षक जीव उड़ते हुए सफर तय कर रहा हो। यहां पहुंचने पर उडऩ गिलहरी की गतिविधियां हमें एक ही स्थान पर बांधे रख सकती हैं। 

दिखने में भी आकर्षक जीव

भिनगा रेंजर अशोक कुमार सिंह ने बताया कि मुख्यत: ग्लाइड करने वाली गिलहरी को उडऩ गिलहरी के नाम से जाना जाता है। स्थानीय स्तर पर इसे लोग उडऩ मूस भी कहते हैं। दुधवा वन क्षेत्र में भी कई आकर्षक जीव-जंतु हैं, लेकिन वहां उडऩ गिलहरी नहीं देखी गई है। भिनगा व ककरदरी जंगल में मौजूद यह जीव दिखने में काफी आकर्षक होती है। इसकी गतिविधि पर्यटकों का मन मोह सकती हैं। 

फ्लैट पूंछ से बनाती ग्लाइड बैलेंस

क्षेत्रीय वनाधिकारी अशोक कुमार कश्यप ने बताया कि दुनियाभर में उडऩ गिलहरी की 45 प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें से 12 प्रजातियां सिर्फ भारत में हैं। इसके पूरे शरीर पर मुलायम और घने बाल होते हैं। इसकी फ्लैट पूंछ ग्लाइड करते समय बैलेंस बनाए रखने में मदद करती हैं। इनके अगले पैर से पिछले पैर तक कमर के बीच पतली झिल्ली होती है। इसी कारण जब ये अपने पैर फैलाकर चलती हैं तो ऐसा लगता है जैसे उड़ रही हों। 

भेजा गया प्रस्ताव 

प्रभागीय वनाधिकारी एपी यादव ने बताया कि भिनगा जंगल में पर्यटकों को लुभाने के लिए कुछ मौजूद है। शासन ने ईको टूरिज्म प्लान के तहत सोहेलवा व भिनगा जंगल को जोडऩे के प्रयास शुरू किए हैं। इसके लिए प्रस्ताव मांगा गया था। जंगल में जीवों की विविधता समेत अन्य जानकारी शासन को भेजी गई है। यहां ईको टूरिज्म विकसित किया गया तो काफी कुछ लोगों को देखने को मिलेगा। 

जीवनकाल 6 से 15 साल

उड़न गिलहरी को वैज्ञानिक भाषा में टेरोमायनी या पेटौरिस्टाइनी कहा जाता है। यह कुतरने वाले जीव के परिवार के जंतु हैं जो पाल-उड़ान (ग्लाइडिंग) की क्षमता रखते हैं। वनों में इनका जीवनकाल लगभग 6 वर्ष लेकिन संरक्षित अवस्था जैसे चिड़ियाघर आदि में इनका जीवनकाल 15 साल तक का हो सकता है। परभक्षियों की वजह से शावकों की मृत्यु दर काफ़ी ऊंची रहती है। 

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