तीर्थ क्षेत्र में बह रही बौद्ध, नमोकार व पंचाक्षर मंत्रों की त्रिवेणी

हर-हर महादेव के उद्घोष से गुंजायमान हो रहा अचिरावती का तट क्षेत्र भोर होते ही देव आराधना से गूंजने लगते हैं मठ-मंदिर चल रही ध्यान साधना

By JagranEdited By: Publish:Sat, 31 Jul 2021 10:27 PM (IST) Updated:Sat, 31 Jul 2021 10:27 PM (IST)
तीर्थ क्षेत्र में बह रही बौद्ध, नमोकार व पंचाक्षर मंत्रों की त्रिवेणी
तीर्थ क्षेत्र में बह रही बौद्ध, नमोकार व पंचाक्षर मंत्रों की त्रिवेणी

श्रावस्ती : बौद्ध, जैन व सनातन संस्कृति को समेटे श्रावस्ती की धरती पर इन दिनों धर्म की त्रिवेणी बह रही है। तीर्थ क्षेत्र में बौद्ध मंत्र, जैन मंदिरों में नमोकार व शिवालयों में पंचाक्षर मंत्र गूंज रहे हैं। विश्व कल्याण की प्रार्थना के साथ ऋषि, मुनि व मनीषी धर्म चर्चा के साथ प्रार्थना में हिस्सा ले रहे हैं।

आषाढ़ माह में शुक्ल एकादशी से कार्तिक माह की शुक्ल एकादशी तक जैन अनुयायियों की ओर से चातुर्मास मनाया जाता है। सनातन परंपरा में इसी काल में साधु-सन्यासी एक स्थान पर ठहर कर धर्म चर्चा अनुष्ठान व पौराणिक ग्रंथों का अध्ययन कर आध्यात्मिक ऊर्जा हासिल करने के साथ लोगों को धार्मिक वृत्ति अपनाकर स्वस्थ समाज की स्थापना के लिए प्रेरित करते हैं। बौद्ध परंपरा में आषाढ़ पूर्णिमा से अश्विन पूर्णिमा तक वर्षावास व जैन परंपरा में आषाढ़ शुक्ल दशमी से कार्तिक पूर्णिमा तक चातुर्मास का विधान है। तथागत बुद्ध ने भी अपने जीवन में सर्वाधिक 25 वर्षावास श्रावस्ती में ही बिताया। इसीलिए इस काल में देश-विदेश के बौद्ध मतावलंबी श्रावस्ती में ठहरकर वर्षावास का संकल्प पूरा करते हैं। कोरोना काल के कारण विदेशी तीर्थ यात्रियों का आवागमन बंद है। इसके चलते वर्षावास में हजारों तीर्थ यात्रियों से गुलजार रहने वाला तीर्थ क्षेत्र फिलहाल सूना नजर आ रहा है, लेकिन तीर्थ क्षेत्र स्थित मठ-मंदिरों व जेतवन में बौद्ध भिक्षु विधि-विधान के साथ वर्षावास कर बौद्ध परंपरा को जीवंत कर रहे हैं। सुबह-शाम मठ मंदिरों व जेतवन से उठ रही बौद्ध मंत्रों व जैन मंदिरों में नमोकार मंत्रों की मधुर ध्वनि के साथ धूप अगरबत्ती की खुशबू से तीर्थ क्षेत्र का वातावरण सुवासित हो रहा है। श्रावण मास में महेट क्षेत्र में स्थित बनी महादेव मंदिर से भोर होते ही पंचाक्षर मंत्रों की कर्णप्रिय ध्वनि के साथ हर-हर महादेव का उद्घोष कोरोना काल में सूने पड़े अंतरराष्ट्रीय तीर्थ क्षेत्र में क्षेत्रवासियों को आध्यात्मिक त्रिवेणी का एहसास करवा रहा है।

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