कोरोना ने फेफड़ों से ज्यादा रिश्तों को उधेड़ा

दुकानों और बाजारों में सुबह सात से 12 बजे के बीच उमड़ रही भीड़ देखकर लगता है कि शायद लोगों को कोरोना की रत्तीभर परवाह नहीं। शारीरिक दूरी के नियम उल्लंघन के साथ बचाव के अन्य उपाय भी ठेंगे पर हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 28 May 2021 11:17 PM (IST) Updated:Fri, 28 May 2021 11:17 PM (IST)
कोरोना ने फेफड़ों से ज्यादा रिश्तों को उधेड़ा
कोरोना ने फेफड़ों से ज्यादा रिश्तों को उधेड़ा

शामली, जागरण टीम। दुकानों और बाजारों में सुबह सात से 12 बजे के बीच उमड़ रही भीड़ देखकर लगता है कि शायद लोगों को कोरोना की रत्तीभर परवाह नहीं। शारीरिक दूरी के नियम उल्लंघन के साथ बचाव के अन्य उपाय भी ठेंगे पर हैं। चेकिग के दौरान जान-पहचान का हवाला या मार्मिक बहाना बनाकर पुलिस को गुमराह करना आम देखा जा सकता है। एक ओर दुकान का शटर खुलवाकर सब्जी-सामान खरीदा जा रहा है। रोजमर्रा के काम निपटाए जा रहे हैं। समय देखकर लोग बाहर भी निकल रहे हैं। उस समय किसी को कोरोना का स्मरण नहीं आता। पर जैसे ही किसी रिश्तेदार, परिचित या करीबी को मदद की जरूरत पड़ती है तो सरकार और चिकित्सकों की तमाम अपील और उपाय याद आ जाते हैं। उनका निष्ठा से पालन भी किया जाता है। दरअसल, कोरोना ने समाज में दोहरी जीवनशैली की नींव डाल दी है। वायरस ने फेफड़ों से ज्यादा रिश्तों की परतों को उधेड़ा है। केस-एक

शामली स्थित एल-2 कोविड अस्पताल के परिसर में एक व्यक्ति की मौत हो जाती है। बेटी दहाड़ें मारकर रो रही है। मौत की सूचना मिलने के बावजूद परिवार से कोई आया ही नहीं। कुछ रिश्तेदार मौके पर मौजूद हैं, लेकिन बेटी को गले लगाकर कोई ढाढस बंधाने को तैयार नहीं। डर है कि इससे कोरोना हो सकता है। केस-दो

जनपद के कोविड अस्पताल में 30 वर्षीय युवक की मौत हो जाती है। साथ में पत्नी और युवक का पिता भी है। तड़प, गम और बेचैनी तो है, लेकिन दोनों ही शव से दूर हैं। अस्पतालकर्मी स्ट्रेचर पर शव लेकर आता है और एंबूलेंस में रखवा देता है। पत्नी और पिता के अलावा और कोई रिश्तेदार नहीं था।

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लोगों ने अपनी जीवनशैली के तीन-चार पायदान बना रखे हैं। पहला है बीमारी से बचाव। दूसरा जिदा रहने की प्रक्रिया और तीसरा है सामाजिक संबंध। इन दिनों लोगों का मुख्य फोकस पहले दो पायदान पर है। संबंधों को लेकर उन्हें विश्वास है कि जो हमारे हैं, वे हमारे ही रहेंगे।

-सीमा शर्मा, क्लीनिकल साइकोलाजिस्ट

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सर्जिकल मास्क, कपड़े का डबल मास्क या एन-95 मास्क काफी हद तक कोरोना से सुरक्षित करता है। तीन मीटर की दूरी रखने से खतरे की आशंका और कम हो जाती है। हम पर्याप्त एहतियात बरतें और सरकार व चिकित्सकों के दिशा-निर्देशों का पालन करें तो यह खतरा काफी कम हो सकता है।

-डा. पंकज गर्ग, छाती रोग विशेषज्ञ

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